Yog Sutra Ki Rachna Kisne Ki Hai_

योग सूत्र की रचना किसने की है – Yog Sutra Ki Rachna Kisne Ki Hai?

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By Nitesh Harode

इस व्यस्त जीवन में स्वस्थ शरीर रख पाना बड़ा मुश्किल है । इसलिए प्रतिदिन व्यायाम और योग जरूर करना चाहिए। हिन्दू धर्म में प्राचीन काल से की बहुत सी पुस्तके योग पर लिखी जा चुकी है वैसे ही आज हम जानेगे की योग सूत्र की रचना किसने की है ( Yog Sutra Ki Rachna Kisne Ki Hai? )

योग सूत्र की रचना किसने की है ( Yog Sutra Ki Rachna Kisne Ki Hai? )

योग सूत्र की रचना महर्षि पतंजलि ने की थी। यह एक बहुत बड़े विद्वान थे। हम इन्हे एक उस महाविशारद के रूप में जानते हैं जिसने महाभाष्य नामक ग्रंथ में संस्कृत व्याकरण के चुने हुए नियमों की सरल व्याख्या की है।

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पतंजलि कौन थे?

इन्हे नागो के राजा शेषनाग के अवतार के रूप में जाना जाता है। ये प्राचीन भारत के प्रसिद्ध मुनि थे। पतंजलि को ‘चरक संहिता’ का प्रणेता भी माना जाता है। भारत के इतिहासकार डॉ. भंडारकर ने पतंजलि का जन्म 158 ई. पू. माना है। इतिहासकारो के अनुसार इनका जन्म गोनार्द (कश्मीर) अथवा (गोंडा) में उत्तर प्रदेश में हुआ था । पतंजलि चिकित्सक और रसायन शास्त्र के आचार्य भी थे।

पतंजलि योग सूत्र के चार अध्याय

पतंजलि योग सूत्र के चार अध्याय मौजूद है । जो क्रमशः समाधि पाद, साधन पाद, विभूति पाद, कैवल्य पाद है।

समाधि पाद

समाधि पाद में 51 सूत्र है। इस प्रथम पाद में मुख्य रूप से समाधि तथा उसके विभिन्न भेदों की व्याख्या की है। योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः। अर्थात – चित्तवृत्तियों का निरोध योग है। व्याख्या: मन हमेशा दौड़ता है, कभी जगत के पदार्थों में, कभी चित्त में पडी वासनाओं, इच्छाओं और विकारों में। मन की इसी हलचल को वृत्ति खा जाता है , क्योंकि मन की हलचलें अनेक प्रकार की है।

साधन पाद

योगसूत्र का दुसरा अध्याय है साधन पाद। इस पाद में दुखो के कारण को बताते हुए उनके शमन के उपाय बताए गए है। साधन पाद में 195 सूत्र हैं जो चार अध्यायों में बात गया है।

विभूति पाद

इस अध्याय में योग साधनों के श्रद्धापूर्वक किये गए अनुष्ठान से प्राप्त होने वाली अनेक प्रकार की विभूतियों का व्याख्यान किया गया है। इस पाद में ध्यान , धारणाऔर सिद्धियों का व्याख्यान किया गया है।

कैवल्य पाद

कैवल्यपाद में मोक्ष का शोध किया गया है। कैवल्य पाद में 34 सूत्र है। इंसान को अविद्या, अस्मिता, राग, द्वेष और अभिनिवेश ये पाँच प्रकार के क्लेश होते हैं। उसे कर्म के फलों के अनुसार जन्म लेकरजीवन व्यतीत करना पस्ता है साथ ही भोग भोगना पड़ता है। इन सबसे बचने और मोक्ष प्राप्त करने का उपाय योग है।

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