वीरगाथा काल की कोई दो विशेषताएं लिखिए?

वीरगाथा काल की कोई दो विशेषताएं लिखिए?

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By Nitesh Harode

प्रश्न – वीरगाथा काल की कोई दो विशेषताएं लिखिए?

वीरगाथा काल 10वीं शताब्दी ईसवी से प्रारम्भ हुआ था, इस काल में राजाओं के छोटे-छोटे राज्य हुआ करते थे, और यह काल हिन्दी साहित्य का आरम्भिक काल भी माना जाता है, इस काल में मुगलों ने भी भारत पर आक्रमण करना प्रारम्भ कर दिया था। इस काल की रचनाओं में युद्धों के वर्णन मिलते हैं। इस काल में वीर रस का प्रयोग अत्यधिक हुआ है इसके लिए इस काल का नाम वीरगाथा काल रखा गया है।

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वीरगाथा काल की कोई दो विशेषताएं लिखिए?

  • वीरगाथा काल के साहित्यकार साहित्य-सृजन के अलावा तलवार चलाने में भी दक्ष थे।
  • इस काल में ही साहित्य का एकांगी विकास हुआ था।

वीरगाथाकाल की प्रमुख विशेषताएँ

  • वीरगाथाकाल के कवियों ने प्रबन्धात्मक काव्य की रचना की थी तथा काव्य रचनाएँ भी आश्रय देने वाले शासक की जीवन गाथाओ के रूप में होती थी।
  • इस काल में वीर काव्यों की ‘प्रबंध तथा मुक्तक’ दोनों रूपों में रचनाएँ हुआ करती थी।
  • वीरगाथाकाल के काव्य प्रशंसात्मक काव्य हुआ करते थे तथा इन्हें वीरगीतों के रूप में प्रयोग किया जाता था, इसीलिए इस काल के काव्य-ग्रन्थों को ‘रासो’ कहा गया।
  • इस काल की प्रमुख विशेषता थी कि रचनाओं में कल्पना की प्रचुरता एवं अतिशयोक्ति का आधिक्य दिखाई देती थी।
  • इस काल में केवल वीर काव्य था राष्ट्रीय काव्य कही भी दिखाई नहीं देता है।
  • वीर रस के साथ साथ रौद्र, भयानक और वीभत्स रस के प्रसंग भी मिलते हैं।
  • इस काल में राजकुमारियो की सुन्दरता को दर्शाने वाले काव्य भी लिखे गये हैं जो राजकुमारियों का नख-शिख वर्णन करते हैं।
  • वीरगाथा काल से काव्य विशेषत: डिंगल भाषा में लिखे गये थे, तथा इनमे इस काल की घटाओ को दर्शाया गया है।
  • इस काल के काव्य में विशेष रूप से उपमा, उत्प्रेक्षा, रूपक, अतिशयोक्ति, यमक, श्लेष, संदेह आदि अलंकारों का उपयोग हुआ है। तथा अलंकारो की अधिकता भी दिखाई पड़ती है।

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