पुश्तैनी संपत्ति और हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम

पुश्तैनी संपत्ति और हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम के बारें में जानकारी

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By Nitesh Harode

पैतृक संपत्ति क्या है?

जो सम्पति परदादा के द्वारा अधिग्रहित की गयी हो और जिसे विभाजित नहीं किया गया हो। साथ पीढ़ी दर पीढ़ी आगे सौंपी जा रही हो उसे पैतृक संपत्ति कहते हैं। पैतृक संपत्ति अधिकार कानूनों के तहत संपत्ति को पिछली तीन पीढ़ियों से नहीं बाटा जाता है और वह चार पीढ़ी पुरानी है तो ही उसे पैतृक संपत्ति के रूप में देखा जाता है।

पैतृक संपत्ति के रूप में वर्गीकृत होने के लिए दो मुख्य नियमों का पालन करना होगा जो कुछ इस तरह है-

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  • संपत्ति चार पीढ़ी पुरानी होनी चाहिए।
  • पिछली तीन पीढ़ियों को पैतृक संपत्ति का बंटवारा नहीं होना चाहिए।

पुश्तैनी संपत्ति और हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम

उत्तराधिकार अधिनियम में संशोधन किया जा चुका है और इसमें यह परिवर्तन 2005 में किया गया था। साथ ही हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 की धारा 6 में यह परिवतर्न किया गया है। इस नियम में संशोधन के बाद बेटे और बेटियों को सम्पत्ति में समान अधिकार दिया गया है और लैंगिक पूर्वाग्रह को दूर किया गया है।

उत्तराधिकारी को कानूनी तौर पर सम्पति में अधिकार मिलता है और इस हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत बेटे और बेटी दोनों को बराबर का हिस्सा मिल जाता है। जब भी सम्पति का बटवारा हो जाता है तो इस सम्पत्ति को स्वयं अर्जित संपत्ति माना जाता है जिसके भी हिस्से में वह सम्पति आती है।

उम्मीद है कि आपको यह पुश्तैनी संपत्ति और हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम समझ में आ गया होगा यदि आपको जानकारी अच्छी लगी होतो इसे शेयर करें और यदि आपके मन में इस सम्बन्ध में कुछ प्रश्न है तो आप कमेंट कर पूछ सकते हैं।

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