ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि

Meaning: ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात का अर्थ

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By Pooja Sharma

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि का अर्थ जानने के लिए तथा इस मंत्र के जाप से मिलने वाले लाभ जानने के लिए लेख जरुर पढ़ें। हिन्दू धर्म में कई इसे मंत्र है जो देवो और देवताओं को प्रसन्न करने के सहायक होते हैं तथा आपके जीवन में चल रही समस्याओं का अंत करते हैं इसीलिए नियमित रूप से इनका जाप करने से जातक को कई लाभ मिलते हैं।

शिव गायत्री मंत्र

शिव गायत्री मंत्र बहुत ही लाभकारी माना जाता है, तथा जो भक्त इस मंत्र का जाप करता है उसे कई तरह के लाभ प्राप्त होते हैं। इस मंत्र के जाप से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं तथा मंत्र का जप करने वाले की हर मनोकामना पूर्ण करते हैं। इस मंत्र का जाप करने से पाप माफ़ होते हैं तथा वर्तमान में चल रहो बड़ी बड़ी समस्याएँ खत्म होती है। यह मंत्र इतना शक्तिशाली है कि इसका जाप करने से मृत्यु का भय भी खत्म हो जाता है। मंत्र के जाप से मानसिक तथा शारीरिक लाभ भी मिलते हैं दोनों ही मजबूत होते हैं तथा आप कई तरह की बीमारियों से बचें रहते हैं। इस मंत्र से व्यक्ति में आत्मविश्वास बढता है और वह कभी भी घबराता नहीं है। शिव गायत्री मंत्र का जाप करने का सही समय सुबह तथा शाम का समय होता है, भगवान को प्रसन्न करने के लिए इस मंत्र का जाप 9, 11, 51, 108, या 1008 बार किया जा सकता है यह आपकी क्षमता के आधार पर होता है।

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शिव गायत्री मंत्र

॥ ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र प्रचोदयात् ॥

शिव गायत्री मंत्र का अर्थ

अर्थ- मैं भगवान शिव को नमन करता हूं। हे महादेव, मुझे बुद्धि दो और भगवान रूद्र मेरे मन को रोशन करें।

अन्य मंत्र

गायत्री मंत्र

गायत्री मंत्र का प्रतिदिन जाप करने से कई तरह के लाभ मिलते हैं, इससे नकारात्मकता खत्म होती है तथा व्यक्ति में सकारात्मकता बढती है और मानसिक शक्ति मिलती है। गायत्री मंत्र के नियमित रूप से जाप करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है, और मन से सारे द्वेष खत्म हो जाते हैं। सूरज के सामने के सामने 10 या 100 या 1000 बार इस मंत्र का जाप करने से शीघ्र ही लाभ मिलता है।

गायत्री मंत्र है:

|| ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यम भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो नः प्रचोदयात् ||

अर्थ- हे दिव्य देवी, हमारे अंदर अंधकार भर गया है। कृपया इस अंधेरे को दूर कर हमारे जीवन में रोशनी भर दो।

गणेश गायत्री मंत्र

प्रथमेश्वर कहें जाने वाले भगवान गणेश हर बाधा को दूर करते हैं तथा हर मांगलिक कार्य के पहले उनकी पूजा की जाती है, गणेश गायत्री मंत्र का जाप करने से लोगों को सिद्धि की प्राप्ति होती है तथा हर रुके काम पूर्ण होते हैं, इस मंत्र का जाप करने से सारी बाधाओं का अंत होता है और यदि संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा के साथ इस मंत्र का जाप किया जाएँ तो अधिक लाभ मिलता है और भगवान आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं तथा अपने भक्त पर हमेशा दृष्टि बनाएं रखते हैं।

गणेश गायत्री मंत्र है:

॥ ॐ लम्बोदराय विद्महे महोदराय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात्॥
॥ ॐ एकदन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥
॥ ॐ तत्पुरुषाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

मैं महापुरुष रूपी गणेश के सामने नतमस्तक हूं। हे प्रभुत आप मुझे बुद्धि दो और मेरे मन को रोशन करो।
भगवान गणेश, जिनका उदर बड़ा है, को मैं नमन करता हूं। हे भगवान मुझे बुद्धि दो और मेरे मन को रोशन करो।
मुझे एक दंत वाले भगवान का ध्यान करने दो। हे एक दंत वाले प्रभु, आप मुझे ज्ञान दो और मेरे मन को रोशन करो।

सरस्वती गायत्री मंत्र

सरस्वती गायत्री मंत्र का जाप करने से माँ सरस्वती की कृपा बनी रहती है, तथा हमेशा माँ सरस्वती का आशीर्वाद बना रहता है, यदि कोई जातक इस मंत्र का जाप करता है तो उसकी बुद्धि में वृद्धि होती है तथा शिक्षा कला के मार्ग प्रशस्त होते हैं। यदि कोई व्यक्ति वसंत पंचमी के दिन माँ सरस्वती की पूजा करता है तथा इस मंत्र का जाप करता है तो उसे कई तरह एक लाभ मिलते हैं। इस मंत्र से विद्यार्थी अपनी क्षमताओं को बड़ा सकते हैं क्योकि जो भी इस मंत्र का जाप करता है उसकी कई तरह की क्षमताओं में वृद्धि होती है।

सरस्वती गायत्री मंत्र है:

॥ ॐ सरस्वत्यै विद्महे, ब्रह्मपुत्र्यै धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात् ॥

अर्थ- मुझे मां सरस्वती का ध्यान करने दो। हे ब्रह्म देव की पत्नी, मुझे उच्च बुद्धि दो, मेरे मन को प्रकाशित करो।

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