सावित्रीबाई फुले कार्य

सावित्रीबाई फुले के महत्वपूर्ण सामाजिक कार्य

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By Nitesh Harode

सावित्रीबाई एक समाज सुधारक तथा शिक्षिका थी, इनका जन्म 3 जनवरी 1831 को हुआ था। सावित्री बाई फुले का जन्म स्थल सतारा जिला है जो महाराष्ट्र में स्थित हैं। इन्होने स्त्रियों को उनका शिक्षा का अधिकार दिलाया था तथा स्त्री बल को बढाने का काम किया था, सावित्री बाई फुले की शादी नौ साल की उम्र में हुई थी, जब उनकी शादी हुई तब वे अनपढ़ थीं इनका विवाह ज्योतिबा फुले से हुआ था जो भी एक समाजसुधारक थे। आगे सावित्रीबाई फुले कार्य दिए गये हैं जिन्हें पढ़ कर आप समझ सकते हैं कि सावित्रीबाई फुले के महत्वपूर्ण सामाजिक कार्य क्या हैं।

सावित्रीबाई फुले कार्य

इन्होने महिलाओं को शिक्षित करने के लिए स्कूल खोला था पर महिलाओं की शिक्षा को पूरे समाज के विरोध का सामना करना पड़ा। इनके समय छुआछूत और भेदभाव जैसी सामाजिक समस्याएँ अपने चरम पर थीं। ज्योतिबा फुले ने महिलाओं की शिक्षा का पुरजोर समर्थन किया और उनका मानना ​​था कि यह उनकी आत्मनिर्भरता और सामाजिक अन्याय से मुक्ति के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने न केवल अपनी पत्नी सावित्री को व्यक्तिगत रूप से शिक्षित किया, बल्कि उन्हें अन्य महिलाओं को शिक्षित करने की जिम्मेदारी भी सौंपी।

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इन्होने पहला विद्यालय खोला जहाँ लड़कियां शिक्षा प्राप्त कर सकती है, और सावित्री जी इस विद्यालय में शिक्षा दिया करती थी। ज्योतिबा फुले स्वयं ने अपनी पत्नी सावित्री बाई फुले को शिक्षित किया था। जब भी सावित्रीबाई फुले विद्यालय जाती थी तब उन पर कीचड़ तथा गोबर फैका जाता था क्योकि गाँव के कई लोग इनके इस कार्य का विरोध करते थे और वह नहीं चाहते थे कि लड़कियां शिक्षित हो।

1852 में सावित्रीबाई फुले ने ‘महिला मण्डल’ का गठन किया था, और कई तरह के ऐसे आन्दोलन किये थे जो महिलाओं के हित में थे। उस समय उन्होंने बाल विवाह, विधवाओं के सिर मूंडने, स्त्रियों को शिक्षा न देने की प्रथा, काफी प्रचलित थी जिसका विरोध करने के लिए ‘महिला मण्डल’ कार्य कर रहा था।

28 नवम्बर 1890 को ज्योतिबा फुले की मृत्यु हो गयी थी, और सावित्रीबाई ने ही उनकी चिता को अग्नि दी थी। उनकी मृत्यु के बाद भी सावित्रीबाई ने समाज के लिए अपने जीवन को समर्पित रखा। 10 मार्च, 1897 को पुणे में फैली प्लेग की बीमारी के कारण सावित्रीबाई की मृत्यु हो गयी थी, कहा जाता है कि इस बीमारी से ग्रसित लोगों की मदद करने के कारण सावित्रीबाई जी को यह बीमारी लग गयी थी जो उनकी मृत्यु का कारण बनी थी।

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