भारतीय संविधान में समानता का अधिकार क्यों आवश्यक है?

भारतीय संविधान में समानता का अधिकार क्यों आवश्यक है?

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By Nitesh Harode

नमस्कार दोस्तों भारतीय संविधान में बहुत से अनुच्छेद है जिसमें अनुच्छेद 14 में समानता का अधिकार की बात कही गई। यह भारतीय नागरिकों को मिलने वाला वह मौलिक अधिकार है। इसके अंतर्गत किसी भी इंसान को समानता का अधिकार प्राप्त है। समानता का अधिकार का अर्थ होता है समाज में उपस्थित हर इंसान चाहे वह किसी भी धर्म, जाति, वर्ग का हो उसे बराबर अधिकार मिलेगा बराबर अधिकार का अर्थ मतदान का अधिकार, भाषण का अधिकार, एकत्र होने की स्वतंत्रता, संपत्ति का अधिकार, सामाजिक सेवाओं के उपयोग का अधिकार आदि। भारत के संविधान में समानता के अधिकारों को बहुत विस्तृत रूप से समझाया हैं। समानता का अधिकार पर 1955 में लागू हुआ था। समानता का अधिकार किसी भी इंसान को एक प्रकार की स्वतंत्रता प्रदान करता है ताकि वह समाज में किसी भी वर्ग से खुद को छोटा महसूस ना करें या किसी भी प्रकार की बंदिश महसूस न करें। तो चलिए जानते है कि भारतीय संविधान में समानता का अधिकार क्यों आवश्यक है?

भारतीय संविधान में समानता का अधिकार क्यों आवश्यक है?

समानता का मतलब सुरक्षा, मतदान का अधिकार, भाषण की स्वतंत्रता, एकत्र होने की स्वतंत्रता, संपत्ति का अधिकार, सामाजिक वस्तुओं एवं सेवाओं पर समान पहुंच आदि से यदि देश के लोगो के पास समानता का अधिकार नही होगा तो देश में एक ऐसी स्तिथि बन जाएगी जहा केवल एक वर्ग विशेष को अधिक महत्व और अधिकार मिलने का खतरा रहेगा। समानता के अधिकार से हर वर्ग, जाती के लोग स्वतंत्र महसूस करेंगे।

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