रावण ने कैलाश पर्वत को उठा लिया फिर धनुष क्यों नहीं उठा पाया

रावण ने कैलाश पर्वत को उठा लिया फिर धनुष क्यों नहीं उठा पाया?

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By Pooja Sharma

आज के इस लेख में आप जानेंगे कि रावण ने कैलाश पर्वत को उठा लिया फिर धनुष क्यों नहीं उठा पाया?

रावण ने कैलाश पर्वत को उठा लिया फिर धनुष क्यों नहीं उठा पाया?

जब भी सीता माता के स्वयंवर की बात आती है तो हर किसी के मन में यह सवाल आता है कि सीता माता के स्वयंवर में एक से एक बलशाली उपस्थित थे, यहाँ तक कि नौ गृहों को वश में करने वाला और कैलाश पर्वत उठाने वाला रावण भी शिव धनुष को उठा नहीं सका था। परन्तु ऐसा क्यों हुआ कि इतना शक्तिशाली रावण उस शिव धनुष को नहीं उठा सका जिसे सीता भी आसानी से उठा लेती थी।

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सीता माता के स्वयंवर में यह शर्त रखी गयी थी कि जो भी इस शिव धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाएगा वह सीता का वर बनेगा। इस धनुष का नाम पिनक था, जिसका निर्माण देवशिल्पी विश्वकर्मा ने किया था, इसके अलावा देवशिल्पी विश्वकर्मा ने एक धनुष और निर्मित किया था जिसका नाम था सारंग। पिनाक धनुष को भगवान शिव और सारंग धनुष को भगवान विष्णु को सौंपा गया था।

इस धनुष को कोई भी अहंकारी व्यक्ति नहीं उठा सकता था इसीलिए रावण इस धनुष को नहीं उठा सका था। रावण अपने अहंकार को प्राथमिकता देता था और स्वयं को अत्यधिक बलशाली समझता था वह जितनी शक्ति इस धनुष पर लगाता वह उठा ही भरी होता चला जाता, जिस कारण रावण इस धनुष को उठाने में असक्षम रहा।

परन्तु राम बिलकुल भी अहंकारी नहीं थे और उन्होंने इस धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाने से पहले इस धनुष को प्रणाम किया और उसकी परिक्रमा भी की जिसके बाद उस धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाने लगे और धनुष स्वतः ही बीच से टूट गया।

माता सीता भी इस धनुष का सम्मान करती थी तथा शिव का ध्यान कर इस धनुष को उठा लेती थी उसी प्रकार राम भी इसे उठाने में सफल हुए और रावण विफल रहा।

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