राष्ट्रकूट कैसे शक्तिशाली बने?

राष्ट्रकूट कैसे शक्तिशाली बने?

No Comments

Photo of author

By Nitesh Harode

यदि आप इन्टरनेट पर यह खोज रहे हैं कि राष्ट्रकूट कैसे शक्तिशाली बने? तो आप बिलकुल सही जगह पर आ पहुचें हैं, इस लेख में आपको इसका उत्तर मिल जाएगा ।

राष्ट्रकूट वंश के संस्थापक दन्तिदुर्ग थे। इस वंश के प्रथम शासक कृष्ण प्रथम थे, इन्होने ही कन्नोज पर अधिकार जमाने के लिए प्रतिहार नरेश वात्सल्य और नरेश धर्म पाल को हराया था। एवं इस वंश के एक मुख्य शासक का नाम कृष्ण तृतीय था जिनके दरबार में कन्नड़ भाषा के कवि रहते हैं जिन्हें पोन्न के नाम से जाना जाता था, इन्होने ही शान्तिपुराण की रचना की थी। राष्ट्रकूट के लोग जैन, वैष्णव, शैव आदि के उपासक थे यानिकी कुछ लोग इन धर्मो को भी मानते थे।

ज्ञानग्रंथ का WhatsApp Channel ज्वाइन करिये!

राष्ट्रकूट कैसे शक्तिशाली बने?

यह राजवंश कई सालो तक शासन में रहा, माना जाता है कि लगभग छठी से तेरहवीं शताब्दी के मध्य तक यह शासन में रहे थे। इस राजवंश के अंतिम राजा कर्क द्वितीय को चोल शासक तैलप द्वितीय ने परास्त किया।

आठवीं सदी के पहले तक राष्ट्रकूट चालुक्य स्वामी के अधीन थे पर आठवीं सदी में राष्ट्रकूट प्रधान दंतीदुर्ग ने इस अधीनता को ठुकरा दिया था और युद्ध जीत कर हिरण्यगर्भ नामक एक अनुष्ठान करवाया। अगर कोई हिरण्यगर्भ नामक यह अनुष्ठान ब्राह्मणों के द्वारा करवाता है तो शासक क्षत्रिय न होते हुए भी पुनः क्षत्रियत्व प्राप्त कर लेता है। इसके बाद राष्ट्रकूट शक्तिशाली बन गये थे।

FAQs

राष्ट्रकूट वंश के संस्थापक कौन थे?

राष्ट्रकूट वंश के संस्थापक दन्तिदुर्ग थे।

राष्ट्रकूट का महान शासक कौन था?

राष्ट्रकूट वंश के सबसे महान राजा अमोघवर्ष प्रथम थे।

कुछ और महत्वपूर्ण लेख –

0Shares

Leave a Comment