राधाकृष्णन के अनुसार शिक्षा की परिभाषा

राधाकृष्णन के अनुसार शिक्षा की परिभाषा

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By Nitesh Harode

यदि आप डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के बारें में जानना चाहते हैं तो आपको इस लेख में उनसे सम्बन्धित कई जानकारी मिल जाएंगी जैसे डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जीवन परिचय और डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के अनुसार शिक्षा की परिभाषा क्या है?

सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जीवन परिचय

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म ५ सितंबर १८८८ को तथा मृत्यु १७ अप्रैल १९६५ को हुई थी यह भारतीय राजनीतिज्ञ, शिक्षाशास्त्री, दार्शनिक, और पहले भारतीय राष्ट्रपति थे। उन्होंने अपने जीवन में शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में योगदान दिया और उन्हें भारतीय शिक्षा के प्रमुख प्रवर्तकों में से एक माना जाता है। उन्होंने भारतीय धर्म और दर्शन की महत्वपूर्ण बातों को विश्व के सामने प्रस्तुत किया और यह भी दिखाया कि भारतीय संस्कृति में विज्ञान और धार्मिकता के बीच एक संतुलन मौजूद है।

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राधाकृष्णन जी की प्रमुख रचनाएँ उनके विचारों को स्पष्ट करती है और उन्होंने “भारतीय दर्शन: समग्र दृष्टिकोण” जैसी किताबें लिखी, उन्हें १९६२ से १९६७ तक पहले राष्ट्रपति के रूप में भी चुना गया था। उन्होंने विकास और शिक्षा को महत्वपूर्ण दिशा में अग्रसर करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए।

राधाकृष्णन के अनुसार शिक्षा की परिभाषा

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के अनुसार, शिक्षा की परिभाषा उनकी अपनी किताब “भारतीय दर्शन: समग्र दृष्टिकोण” में मिलती है। उन्होंने शिक्षा को बहुत गहराई से समझाया था।

राधाकृष्णन जी के अनुसार, शिक्षा का उद्देश्य मानवता को उसके अंतर्निहित शक्तियों और संभावनाओं का पता लगाना और विकसित करना है। शिक्षा का मकसद सिर्फ ज्ञान की प्राप्ति नहीं होता, बल्कि व्यक्ति के संपूर्ण विकास को सहायक बनाना होता है।

वह कहते थे कि शिक्षा एक सकारात्मक प्रक्रिया है जो व्यक्ति की बुद्धि, मन, और आत्मा के सभी पहलुओं का विकास करने का माध्यम होती है। यह उसे स्वयं को समझने, अपने शक्तियों को पहचानने, और समृद्धि और उद्देश्य की ओर प्रगति करने की सामर्थ्य प्रदान करती है।

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