पुराण कितने हैं व उनके नाम क्या हैं?

पुराण कितने हैं व उनके नाम क्या हैं?

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By Nitesh Harode

सनातन धर्म केवल एक धर्म या समुदाय नहीं! अपितु यह जीवन जीने का ढंग है। जो तथ्य आजकल के वैज्ञानिक बड़ी-बड़ी मशीनों और करोड़ों रूपये का खर्च करके पता लगा रहे हैं वे सारी बातें हमारे ऋषि मुनियों ने केवल ध्यान लगा कर ही पता कर ली थी। हमारे धार्मिक ग्रंथों में भी कई ऐसी बातें हैं जो हमें जीवन जीने की सही राह दिखाती हैं और इतना कुछ बताती हैं कि जिनसे हम अपने जीवन को सुखी, समृद्ध बना सकते हैं साथ ही साथ कई ऐसी बातें जान सकते हैं जो आज भी विज्ञान नहीं जान पाया है। आज इस लेख में आप जानेंगे कि हमारे पुराण कितने हैं / पुराणों की संख्या कितनी है व उनके नाम क्या हैं?

पुराण क्या है?

पंडित सत्यम मुंशी के अनुसार पुराण का अर्थ है पुराणी कथाएँ, यह मानव संस्कृति की आधारशिला भी माने जाते हैं। पुराण हिन्दू धर्म के मुख्य ग्रन्थ है जिसमे धर्म, कर्म, भगवान, राजा, ऋषियों, ब्रह्मांड, लोककथाएँ, तीर्थयात्रा, मन्दिर, खगोल शास्त्र, खनिज विज्ञान, हास्य, प्रेमकथाओं, चिकित्सा, व्याकरण आदि का वर्णन मिलता है।

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यह पुराण हिन्दू धर्म के मुख्य आधार माने जाते हैं। पुराण वेदव्यास के द्वारा रचित ग्रन्थ है, वेदव्यास भगवान नारायण का अवतार है तथा यह चिरंजीवी है। इन्होने ही पुराणों में पाप – पुण्य और धर्म – अधर्म के युद्ध के बारे में भी बताया है। पुराणों में संसार की उपत्ति से लेकर उसके अंत तक का वर्णन मिल जाता है। मृत्यु के पश्चात् स्वर्ग नर्क से सम्बन्धित जानकारी भी पुराणों में मिलती है।

पुराण कितने हैं
पुराण कितने हैं?

पुराण कितने हैं व उनके नाम क्या हैं?

आइये जानते हैं कि पुराण कितने हैं / पुराणों की संख्या कितनी है ? हिन्दू धर्म में कुल 18 पुराण है इन सभी पुराणों के रचियता वेदव्यास जी है जिन्होंने इन पुराणों में कई जानकरिया साझा की है जो आज भी प्रासंगिक है। तथा संसार के प्रारम्भ से लेकर अंत तक का वर्णन आपको इस पुराणों में मिल जाएगा। 18 पुराणों के नाम आपको यहाँ नीचे मिल जाएँगे।

18 पुराणों के नाम

  • ब्रह्म पुराण
  • पद्म पुराण
  • विष्णु पुराण
  • वायु पुराण (शिव पुराण)
  • भागवत पुराण (देवीभागवत पुराण)
  • नारद पुराण
  • मार्कण्डेय पुराण
  • अग्नि पुराण
  • भविष्य पुराण
  • ब्रह्म वैवर्त पुराण
  • लिङ्ग पुराण
  • वाराह पुराण
  • स्कन्द पुराण
  • वामन पुराण
  • कूर्म पुराण
  • मत्स्य पुराण
  • गरुड़ पुराण
  • ब्रह्माण्ड पुराण

ब्रह्म पुराण

ब्रह्म पुराण को महा पुराण भी कहा जाता है, यह संस्कृत भाषा में निर्मित पुराण है जिसमे 10 हज़ार श्लोक है, जिसमे संसार के जन्म, जल उत्पत्ति, देवताओ के जन्म, शिव, विष्णु ब्रह्मा की पूजन की विधि के बारे में बताया गया है।

पद्म पुराण

क्या आप जानते हैं कि पद्म पुराण में क्या लिखा हुआ है। पद्म पुराण में 55 हज़ार श्लोक मोजूद है, इस पुराण को मुख्य पांच खंडो में बाटा गया है जो श्रुष्टि खंड, भूमि खंड, स्वर्ग खंड, पाताल खंड और उत्तर खंड है। इस पुराण में व्रतो के महत्व, तुलसी की महिमा, राम जी आदि का वर्णन मिलता है।

विष्णु पुराण

23000 श्लोकों के साथ विष्णु पुराण के रचियता भी वेदव्यास जी ही है। इस पुराण में समुद्र मंथन, भक्त प्रह्लाद की कथा, राज ऋषियों और देव ऋषियों के चरित्र के बारे में तार्किक ढंग से दर्शाया गया है। इसके अलावा गृह नक्षत्र, पृथ्वी, ज्योतिष के बारे में भी लिखा गया है। वेद की शाखाओं, श्राद्ध विधि का वर्णन भी इसी पुराण में है।

वायु पुराण (शिव पुराण)

वायु पुराण को शिव पुराण भी कहा गया है क्योकि इसमें शिव जी की पूजन विधि और उनकी महिमा का विस्तृत वर्णन मिलता है। इसके अलावा इस पुराण में भुगोल, खगोल, ऋषि वंश, राजवंश, संगीत शास्त्र, वेद शाखाओं, शिव भक्ति, युग, सृष्टिक्रम, तीर्थ, युग, श्राद्ध, पितरों के बारे में पढ़ने को मिलता है।

भागवत पुराण (देवीभागवत पुराण)

इस पुराण में कुल 12 स्कंध और 18000 श्लोक मोजूद है, यह मुक्ति मार्ग दर्शाने वाला पुराण है । साथ ही इसमें कृष्ण के जीवन से जुड़ी घटनाएं तथा उनकी लीलाओ का वर्णन है। श्रीकृष्ण कै देह त्याग, द्वारिका के नगरी जलमग्न होने की घटना, पांडवों और कौरवों के युद्ध का वर्णन है।

नारद पुराण

नारद पुराण का दूसरा नाम नारदीय पुराण भी है। इसमें 25000 श्लोक है, जिसमे गणेश पूजा और अन्य पूजन विधियाँ, हवन और यज्ञ, ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति और विनाश, मंत्रोच्चार, महीनों में आने वाले व्रतों और विधियों का वर्णन है। कलियुग में होने वाले परिवर्तन से जुड़ी जानकारी भी इसमें मिल जाती है।

मार्कण्डेय पुराण

इस पुराण में 137 अध्याय और 9000 श्लोक है, इस पुराण में आपको दुर्गा चरित्र, सामाजिक, आध्यात्मिक, द्रौपदी पुत्रों की कथा, बालभद्र कथा, हरिश्चंद्र की कथा, नैतिक विषयों, सूर्य देव के जन्म के बारे में बताया गया है।

अग्नि पुराण

अग्नि देव ने गुरु वशिष्ठ को इस पुराण को सुनाया था जिस कारण इसका नाम अग्नि पुराण रखा गया है। इस पुराण में त्रिदेवों अर्थात ब्रह्म देव, सूर्य पूजन विधि का भी उल्लेख, महाभारत और रामायण, विष्णु देव और शिव जी का वर्णन मिलता है। इसके अलावा मत्स्य अवतार, दीक्षा विधि, वास्तु शास्त्र, सृष्टि का सृजन के बारे में भी बताया गया है।

भविष्य पुराण

इसमें 14500 श्लोक हैं और इसमें धर्म, नीति, सदाचार, व्रत, दान, आयुर्वेद, ज्योतिष का वर्णन है तथा भविष्य पुराण में पृथ्वीराज चौहान, हर्षवर्धन महाराज, शिवाजी महाराज जैसे वीर हिन्दू राजाओं और मुहम्मद तुगलक, रानी विक्टोरिया, अलाउद्दीन, बाबर, तैमूरलंग, अकबर, के बारे में भी कहा गया था इस कारण इसे भविष्य पुराण कहते हैं।

ब्रह्म वैवर्त पुराण

ब्रह्म वैवर्त पुराण में 218 अध्याय और 18000 श्लोक मोजूद है। इसमें बताया गया है कि कृष्ण से ही शिवजी, विष्णु जी, ब्रह्म देव और समस्त प्रकृति जन्मी है। जीवो की उत्पप्ति, जीवो के जन्म उनके पालन पोषण के बारे में लिखा गया है।

लिङ्ग पुराण

इस पुराण में कुल 11000 श्लोक है, इसमें शंकर भगवान के 28 अवतारों का वर्णन है। शंकर भगवान के ज्योतिर्लिंग रूप में उत्त्पन होने की कहानी, व्रतों, शिव पूजन और यज्ञ का उल्लेख मिलता है। लिङ्ग पुराण 11वां पुराण है।

वराह पुराण

इस पुराण में 270 अध्याय और 10000 श्लोक उपस्थित हैं, इस पुराण में वराह अवतार का वर्णन है जो भगवान विष्णु का अवतार है। वराह कथा, व्रत, तीर्थ, दान, यज्ञ, नारायण की पूजा विधि, पार्वती और शिवजी की कथा का उल्लेख है।

स्कन्द पुराण

स्कन्द पुराण में यमुना, अयोध्या, बद्रिकाश्रम, द्वारका, कन्याकुमारी, जगन्नाथपुरी, काशी, रामेश्वर आदि तीर्थों का वर्णन मिलता है। तारकासुर वध और कार्तिकेय के जन्म की कथा को भी सुंदर रूप से दर्शाया गया है। इस पुराण में 81,100 श्लोकों है।

वामन पुराण

शिव लिंग की पूजा विधि, गणेश पूजन, भक्त प्रह्लाद, वामन अवतार , शिव लिंग की पूजा विधि के बारें में बताया गया है। इस पुराण में 10000 श्लोक हैं, हर पुराण की तरह इसे भी वेदव्यास ने संकृत में ही निर्मित किया है।

कूर्म पुराण

कूर्म पुराण में विष्णु की दिव्य लीला, वामन अवतार, वर्णाश्रम धर्म, प्रलय काल, यद्ववंश का उल्लेख है। पाप का नाश करने वाले व्रतों के बारे में भी विस्तृत जानकारी मिलती है, कूर्म पुराण में कुल 18000 श्लोक है।

मत्स्य पुराण

मत्स्य पुराण में कुल 14000 श्लोक है, जिसमे व्रत, दान, तीर्थों, यज्ञों की महिमा, मनु के संवाद, जल प्रलय, तीर्थ यात्रा, प्रयाग महात्म्य, त्रिदेवों की महिमा, नव गृह, तीनों युगों, तारकासुर वध , सावित्री कथा आदि का विवरण है।

गरुड़ पुराण

वैराग्य, निष्काम, सदाचार, शुभ कर्मों, तीर्थ, दान, स्वर्ग नर्क , ज्योतिष, धर्म शास्त्र और योग का भी विवरण गरुड़ पुराण में मिलता है। इस ग्रन्थ में 19000 श्लोक हैं। यह विष्णु भक्ति पर आधारित मुख्य पुराण है।

ब्रह्माण्ड पुराण

ब्रह्माण्ड पुराण के श्लोको की संख्या 12000 है, इसमें आपको चन्द्रवंशी और सूर्यवंशी राजाओं के बारे में, सृष्टि के जन्म, सात काल, खगोल शास्त्र के बारे में पढ़ने को मिलता है। यह पुराण बहुत ही महत्वपुर्ण माना गया है क्योकि इसमें विज्ञान की भी भूमिका है।

आशा करता हूँ आप अब अच्छे से समझ गये होंगे कि पुराण कितने हैं तथा इन 18 पुराणों के नाम क्या हैं? एवं इन पुराणों में क्या क्या जानकारियां आप पा सकते हैं।

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