पूजा करते समय कौन सा मंत्र बोलना चाहिए

पूजा करते समय कौन सा मंत्र बोलना चाहिए

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By Nitesh Harode

आज आप जानेंगे कि पूजा करते समय कौन सा मंत्र बोलना चाहिए? जब हम देवी-देवताओं की पूजा करते हैं तो विशेष शब्दों का प्रयोग करते हैं जिन्हें मंत्र कहते हैं। ये मंत्र पूजा के विभिन्न भागों के लिए प्रार्थना या निर्देश की तरह हैं, जैसे कि अगर हमसे कोई गलती हो जाए तो क्षमायाचना मंत्र बोला जाता है कुछ लोगों का मानना है कि जब हम क्षमा मांगते हैं तभी हमारी पूजा सम्पन्न होती है, भगवान से क्षमा मांगने के लिए क्षमा मंत्र का जप किया जाता हैं, भगवान की आराधना करनी हो तो मंत्रों का जाप किया जाता है। हिंदू धर्म में, जब लोग प्रार्थना करते हैं, तो वे कुछ परंपराओं और अनुष्ठानों का पालन करते हैं। आप पूजा करते समय कई तरह के मन्त्रो का जाप कर सकते हैं जिनके बारे में आपको नीचे बताया गया है।

पूजा करते समय कौन सा मंत्र बोलना चाहिए

क्षमायाचना मंत्र

आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्। पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वर॥
मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं जनार्दन। यत्पूजितं मया देव!

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अर्थ –

ईश्वर मैं आपको बुलाना नहीं जानता हूं और न ही विसर्जन करना जानता हूं मुझे तो आपकी पूजा भी करनी नहीं आती है। कृपा करके मुझे क्षमा करें, साथ ही मुझे न मंत्र का ज्ञान है न ही क्रिया का ज्ञान रखता हूँ, मैं तो आपकी भक्ति करना भी नहीं जानता, बस संभव पूजा कर रहा हूं, कृपा मेरे भगवान करके मेरी भूल को क्षमा कर दें और पूजा को पूर्णता प्रदान करें, मैं भक्त हूं मुझसे कई गलतीया हो सकती है, हे भगवान मुझे क्षमा कर दें, मेरे अहंकार को दूर कर दें, मैं आपकी शरण में हूं।

सुबह किये जाने वाले मंत्र

  • ब्राह्मे मुहूर्ते बुद्ध्येत धर्मार्थौ चानुचिन्तयेत॥
    वर्णं कीर्तिं मतिं लक्ष्मिं स्वास्थ्यमायुश्च विन्दति।
    ब्राह्मे मुहूर्ते सञ्जाग्रच्छ्रियं वा पङ्कजं यथा॥

अर्थ – रात के चौथे प्रहर यानिकी चार घड़ी रात से उठे यानिकी जो प्रातः चार से पांच बजे के बीच का समय है, में उठकर धर्म, अर्थ और परमात्मा का ध्यान करें। कभी अधर्म का आचरण न करें।

ब्रह्ममुहूर्त में उठकर अपने शरीर की शुद्धता और स्वास्थ्य रक्षा के उपाय प्रातः भ्रमण, योगासन करने का शास्त्रों में उल्लेख मिलता है।

  • कराग्रे वसते लक्ष्मिः करमध्ये सरस्वती।
    करमूले तु गोविन्द: प्रभाते करदर्शनम्
    समुद्रवसने देवि पर्वतस्तनमण्डले।
    विष्णुपत्नि नमस्तुभ्यं पादस्पर्शं क्षमस्वमे॥

अर्थ – हथेली के शीर्ष पर देवी लक्ष्मी का निवास और हथेली के मध्य में देवी सरस्वती का निवास है। हथेली के नीचे गोविंद का निवास है इसलिए व्यक्ति को सुबह सुबह अपनी हथेलियों को देखना चाहिए।
सुबह-सुबह और उन पर चिंतन करें।

अन्य मंत्र

कर्पूरब जो आवगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि।।

अर्थ – कर्पूर के समान गौर वर्ण वाले। करुणा के जो साक्षात् अवतार हैं। समस्त सृष्टि के जो सार हैं। जो सांप को हार के रूप में धारण करते हैं।

रात को किये जाने वाले मंत्र

अच्युतं केशवं विष्णुं हरिं सोमं जनार्दनम्।
हसं नारायणं कृष्णं जपते दु:स्वप्रशान्तये।।

मंत्रों का जाप हमारे शरीर और पूजा के लिए अच्छा होता है। जब हम इन्हें कहते हैं तो हमारा शरीर कांप उठता है और हम ऊर्जावान महसूस करते हैं। जब हम प्रार्थना करते हैं तो एक विशेष मंत्र का उपयोग करना महत्वपूर्ण है।`

FAQ

भोजन करने से पहले कौन सा मंत्र बोलना चाहिए

ॐ सह नाववतु, सह नौ भुनक्तु, सह वीर्यं करवावहै । तेजस्वि नावधीतमस्तु मा विद्विषावहै ॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
अन्नपूर्णे सदापूर्णे शंकर प्राण वल्लभे। ज्ञान वैराग्य सिद्धयर्थ भिखां देहि च पार्वति।।
ब्रह्मार्पणं ब्रह्महविर्ब्रह्माग्नौ ब्रह्मणा हुतम् । ब्रह्मैव तेन गन्तव्यं ब्रह्मकर्म समाधिना ।

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