पिता बनने की सही उम्र क्या है?

पिता बनने की सही उम्र क्या है?

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By Shubham Jadhav

एक लड़का तब पिता बनने के योग्य हो जाता है जब उसके वीर्य में शुक्राणु का उत्पादन शुरू हो जाता है, यह 11 से 14 वर्ष की आयु के बीच होता है, इस अवस्था से पहले लड़के किसी महिला को गर्भवती करने में असमर्थ होते हैं। बच्चे को जन्म देने की क्षमता आमतौर पर लड़कों में 14 साल की उम्र के आसपास आती है ओर लड़कियां 13 साल की उम्र में मां बन सकती हैं। तो आखिर पिता बनने की सही उम्र क्या है?

शुक्राणु के निर्माण के बाद भी कई तरह के कारक गर्भधारण को प्रभावित करते है, जिसमें शुक्राणुओं की संख्या, आकार और गति जैसे कारक शामिल हैं। 35 वर्ष की आयु के बाद पुरुषों में शुक्राणु की गुणवत्ता में गिरावट शुरू हो जाती है।

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पिता बनने की सही उम्र क्या है?

पुरुषों को 35 वर्ष की आयु से पहले बच्चे पैदा करने की सलाह दी जाती है तथा 22 से 25 वर्ष की आयु के बीच शुक्राणुओं की संख्या व गुणवत्ता सही रहती है इस उम्र के बाद प्रजनन क्षमता में गिरावट आती है। पुरुषों की उम्र बढ़ने के साथ शुक्राणु की मात्रा और गुणवत्ता में गिरावट आती जाती है। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि पुरुषों के लिए पिता बनने की सही उम्र 20 से 30 वर्ष के बीच है।

कई पुरुष 50 वर्ष और उससे अधिक की उम्र में भी पिता बन सकते हैं यह उनके शुक्राणुओं की गुणवत्ता पर निर्भर करता है। पिता बनने वाले सबसे उम्रदराज व्यक्ति की उम्र 92 वर्ष थी जब उनके बच्चे का जन्म हुआ था।

बांझपन के कारण पुरुषों में आत्मविश्वास में कमी और हीन भावना का विकास होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार दुनिया भर में बांझपन का अनुभव करने वाले पुरुषों और महिलाओं का प्रतिशत 20 से 40 प्रतिशत तक है तथा हमारे देश में पुरुष बांझपन के मामलों का प्रतिशत 23 प्रतिशत है।

कई कारक शुक्राणु स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे प्रजनन क्षमता प्रभावित हो सकती है जैसे धुम्रपान, तनाव, शराब, असंतुलित भोजन, व्यायाम की कमी आदि। वीर्य में प्रति मिलीलीटर न्यूनतम 15 मिलियन शुक्राणु होने चाहिए तभी गर्भधारण किया जा सकता हैं स्खलन में शुक्राणुओं की कम संख्या से गर्भधारण की संभावना कम हो जाती है।

एक अध्ययन से पता चला है कि 40 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुषों से पैदा होने वाले बच्चों में ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार विकसित होने का जोखिम पांच गुना होता है। ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर एक विकासात्मक विकलांगता है जहां बच्चे कम्यूनिकेट करने और खुद को एक्सप्रेस करने की क्षमता खो देता है, इस स्थिति से प्रभावित लोगों को सामान्य तरीके से व्यवहार करने में परेशानियाँ आती है।

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