आज हम जानेंगे की परिमेय संख्या किसे कहते हैं? (Parimey Sankhya Kise Kahate Hain) न्यूनतम संख्या प्राप्त करने के लिए एक पूर्णाक से दूसरे पूर्णाक को भाग देने वाली संख्या परिमेय संख्या कहलाती है ,
अंश और हर के रूप व्यक्त की गयी संख्या को भी परिमेय संख्या कहा जाता है। जिसे हम p/q के रूप में भी व्यक्त कर सकते हैं।
परिमेय संख्या के प्रकार
परिमेय संख्या को दो प्रकारों में बांटा गया है :-
ज्ञानग्रंथ का WhatsApp Channel ज्वाइन करिये!- धनात्मक परिमेय संख्या
- ऋणात्मक परिमेय संख्या
धनात्मक परिमेय संख्या
जिसके अंश और हर दोनों ही धनात्मक हों उस परिमेय संख्या को धनात्मक परिमेय संख्या कहा जाता है।
ऋणात्मक परिमेय संख्या
जिस परिमेय संख्या में या तो हर या अंश ऋणात्मक हो उसे ऋणात्मक परिमेय संख्या कहा जाता है।
परिमेय संख्या का सूत्र
पद शब्द से उत्पन्न परिमेय शब्द का अर्थ अनुपात होता है।हम जानते है 3:4 को 3/4 भी लिखा जा सकता है जिनमे दोनों संख्याएं प्राकृतिक हैं।
प्राकृतिक संख्या को एक सूत्र के द्वारा व्यक्त तो परिमेय संख्या = p/q बनती है। जिसमे दोनों पूर्णांक होते हैं और हर का मान कभी भी 0 नहीं हो सकता है।
जैसे :-
P = 7
Q = 5
इसे परिमेय संख्या के रूप में इस प्रकार लिखा जा सकता है
P/Q= 7/5
समतुल्य परिमेय संख्या
अलग अलग अंश और हर का प्रयोग करके लिखी गयी परिमेय संख्या समतुल्य परिमेय संख्या कहलाती है जिसे हम तुल्य परिमेय संख्या भी कहते हैं।
उदाहरण:
7/8 को 21/24 भी लिखा जा सकता है
4/5 को 8/10 भी लिखा जा सकता है
परिमेय संख्याओं का गुण
- जोड़ी गई, घटाई गई, भाग की गई या गुणा की गई किसी भी परिमेय संख्या का उत्तर एक परिमेय संख्या ही होता है।
- हमेशा परिमेय संख्याओं का योगफल और गुणनफल क्रमविनिमेय साहचर्य होता है।
- अंश और हर के रूप में परिमेय संख्या लिखी है।
- ऋणात्मक और धनात्मक रूप में परिमेय संख्या विभाजित है।
- 0 किसी भी परिमेय संख्या में नहीं आता क्योंकि वह न ऋणात्मक है न ही धनात्मक है।
- असंख्य परिमेय संख्या किसी भी दो परिमेय संख्याओं के बीच आ सकतीं हैं।
इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आप बड़ी आसानी से समझ गये होंगे की परिमेय संख्या किसे कहते हैं (Parimey Sankhya Kise Kahate Hain)
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