पंचतंत्र के लेखक कौन है?

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By Shubham Jadhav

इस लेख में पंचतंत्र के लेखक कौन है? पंचतंत्र की प्रमुख विशेषताएँ तथा पंचतंत्र के पाँच तंत्र बताएं गये हैं।

पंचतंत्र के लेखक कौन है?

पंचतंत्र के लेखक विष्णु शर्मा जी है जो एक प्रख्यात ब्राह्मण है, इन्होने 200 ईसा पूर्व – 300 ईस्वी पूर्व इसकी रचना की थी। इसे एक ग्रन्थ के रूप में देखा जाता है जिसे राजनीति के पांच तंत्र में प्रतिपादित किया गया है, और यही कारण है कि इसका नाम पंचतंत्र रखा गया है। इसे संस्कृत में लिखा गया है पर वर्तमान काल में इसे पूरी दुनिया में अलग-अलग भाषाओ में उपलब्ध कराया जा रहा है और कई भाषाओँ में इसे उपलब्ध करवाया जा चुका है। यह आज पुरे विश्व में प्रसिद्ध है और कई भाषाओ में उपलब्ध है।

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इस ग्रन्थ में पशुओ के चित्र, शिक्षा वित्त कहानिया मौजूद है, इस ग्रन्थ की रचना के समय विष्णु शर्मा जी की उम्र 80 साल थी। लोगों का कहना है कि यह कहानियाँ मनोविज्ञान, व्यवहारिकता तथा राजकाज के सिद्धांतों से परिचित कराती है। इन कहानियों को भारत की प्राचीनतम धरोहर के रूप में देखा जाता है जो इतिहास और संस्कृत का जोड़ है, यह आज भी कई संस्कृतियों पर प्रभाव डालती है व यह अच्छे बुरे कर्मो गुणों को प्रस्तुत करती है।

पंचतंत्र के मूल ग्रंथकर्ता विष्णुशर्मा ने पांच तंत्र (मित्रभेद, मित्रलाभ, सुखस्य कामया, दूरदर्शिता, लाभलाभ) के माध्यम से बच्चों को सिखाने का प्रयास किया है। इन तंत्रों के माध्यम से उन्होंने नैतिक शिक्षा, जीवन कुशलता और बुद्धिमता के महत्वपूर्ण सिद्धांतों को सार्थक रूप से प्रस्तुत किया है। पंचतंत्र के किस्से एक कथा रूप में होते हैं, जिनमें प्राणी और पक्षी आदि के बीच होने वाले संवादों के माध्यम से नैतिक उपदेश प्रस्तुत करते है।

पंचतंत्र की कहानियाँ संवाद रूप में होती हैं, जिनमें पशु-पक्षियों और इंसानों की भाषा में बातचीत होती है। यह कहानियाँ आमतौर पर जानवरों, पक्षियों, कीट-पतंगों आदि के चरित्रों के माध्यम से विभिन्न व्यक्तिगतताओं, भावनाओं और व्यवहारों को प्रकट करती है। यह गहरी समझ, उच्चात्तता और मनोबल की बढ़ावा देने का काम करती है। पंचतंत्र के किस्से कई विषयों पर आधारित होते हैं जैसे कि राजनीति, धन, व्यवसाय, परिवारिक संबंध, शिक्षा, बुद्धिमता, नीतिशास्त्र, और जीवन के विभिन्न पहलुओं का मनोरंजन करने का एक तरीका है।

पंचतंत्र की कहानियों ने उपन्यासों से लेकर फिल्मों तक अपनी भूमिका निभाई हैं। इनका प्रभाव विशेष रूप से बच्चों के मस्तिष्क विकास, और व्यक्तिगत उन्नति पर पड़ता है। यह न केवल मनोरंजन प्रदान करती हैं बल्कि नैतिक मूल्यों की प्रेरणा भी देती हैं।

पंचतंत्र की प्रमुख विशेषताएँ

  • पंचतंत्र की कहानियां विभिन्न नैतिक मूल्यों को सिखाती हैं, जैसे कि मित्रता, सद्गुण, धर्मपरायणता, आत्मनिर्भरता आदि।
  • पंचतंत्र की कथाएँ मानवीय भावनाओं, व्यक्तिगतता और व्यक्तिगत समस्याओं को समझाने में मदद करती हैं।
  • इन किस्सों के माध्यम से शासन, नीति और राजनीति के महत्वपूर्ण मुद्दे प्रस्तुत किए गए हैं।
  • पंचतंत्र की कहानियाँ चतुराई और तर्कशक्ति का प्रतीक हैं, जिन्हें साहित्यिक रूप में प्रस्तुत किया गया है।
  • यह उस समय के समाज, संस्कृति और जीवनशैली का विवरण करते हैं, जब वे लिखे गए थे।
  • पंचतंत्र के किस्से विभिन्न पीढ़ियों को नैतिक और बुद्धिमत्ता से जीने की प्रेरणा प्रदान करते हैं।
  • किस्सों में व्यावसायिक दक्षता, व्यवसायिक योजनाएँ, और बुद्धिमत्ता का महत्व है।

पंचतंत्र के पाँच तंत्र

  • मित्रभेद (मित्रों में मनमुटाव एवं अलगाव)
  • मित्रलाभ या मित्रसंप्राप्ति (मित्र प्राप्ति एवं उसके लाभ)
  • काकोलुकीयम् (कौवे एवं उल्लुओं की कथा)
  • लब्धप्रणाश (मृत्यु या विनाश के आने पर ; यदि जान पर आ बने तो क्या?)
  • अपरीक्षित कारक (जिसको परखा नहीं गया हो उसे करने से पहले सावधान रहें ; हड़बड़ी में कदम न उठायें)

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