ओम जय जगदीश हरे आरती

ओम जय जगदीश हरे आरती – Om Jai Jagdish Hare

No Comments

Photo of author

By Nitesh Harode

सुप्रसिद्ध आरती ॐ जय जगदीश हरे पं. श्रद्धाराम फिल्लौरी द्वारा लिखी गयी थी जिसे 1870 में लिखा गया था। यह आरती भगवान विष्णु को समर्पित है इस आरती से ही भगवान नारायण की पूजा सम्पन्न होती है। इस आरती से पुण्य की प्राप्ति होती है तथा भगवान विष्णु की कृपा सदा भक्त पर बनी रहती है वह उसकी हर संकट से रक्षा करते हैं। यदि आप ओम जय जगदीश हरे आरती लिखित में तलाश रहे हैं तो इस लेख में आपको इसका उत्तर मिल जाएगा।

ओम जय जगदीश हरे आरती लिखित में (Om Jai Jagdish Hare Aarti Lyrics)

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट
क्षण में दूर करे ॥
ॐ जय जगदीश हरे…

ज्ञानग्रंथ का WhatsApp Channel ज्वाइन करिये!

जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का,
स्वामी दुःख विनसे मन का ।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का ॥
ॐ जय जगदीश हरे…

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी,
स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी ।
तुम बिन और न दूजा, प्रभु बिन और न दूजा
आस करूँ मैं जिसकी ॥
ॐ जय जगदीश हरे…

तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी,
स्वामी तुम अन्तर्यामी ।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी ॥
ॐ जय जगदीश हरे…

तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता,
स्वामी तुम पालन-कर्ता ।
मैं मूरख खल कामी, मैं सेवक तुम स्वामी,
कृपा करो भर्ता॥
ॐ जय जगदीश हरे…

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति,
स्वामी सबके प्राणपति ।
किस विधि मिलूँ दयामय , तुमको मैं कुमति ॥
ॐ जय जगदीश हरे…

दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे,
स्वामी तुम रक्षक मेरे ।
अपने हाथ उठा‌ओ, अपनी शरण लगाओ,
द्वार पड़ा मैं तेरे ॥
ॐ जय जगदीश हरे…

विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा,
स्वामी कष्ट हरो देवा ।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, श्रद्धा-प्रेम बढ़ा‌ओ,
सन्तन की सेवा ॥
ॐ जय जगदीश हरे…

तन मन धन सब है तेरा,
स्वामी सब कुछ है तेरा ।
तेरा तुझको अर्पण, क्या लागे मेरा ॥
ॐ जय जगदीश हरे…

श्री जगदीश जी की आरती, जो कोई नर गावे,
स्वामी जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे ॥
ॐ जय जगदीश हरे…

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे ॥

कुछ और महत्वपूर्ण लेख –

0Shares

Leave a Comment