9 देवी के नाम

जानिए नौ देवियों के नाम : मां आदिशक्ति दुर्गा के हर स्वरूप की अद्भुत महिमा का विशेष महत्व है

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By Nitesh Harode

हिन्दू धर्म का एक मुख्य त्यौहार नवरात्रि वर्ष में चार बार आता है यह नौ दिन तक चलने वाला त्यौहार है और इन नौ दिनों में प्रतिदिन देवी के नौ रूपों की पोजा की जाती है। माघ और आषाढ़ माह में पड़ने वाली नवरात्रि गुप्त नवरात्रि कहलाती है होती हैं तथा चैत्र और आश्विन माह की शारदीय नवरात्रि प्रकट नवरात्रि होती है। माँ दुर्गा के नौ रूप है जिनकी पूजा आराधना करने से सारे दुखो का अंत हो जाता है, माता के इन नौ अवतारों के पीछे एक न एक कथा जरुर है।

9 देवियों के नाम

मां शैलपुत्री

मां शैलपुत्री दुर्गा माता का प्रथम रूप है जिम्हे नवरात्रि के पहले दिन पूजा जाता है। इन्हें पिता का शैल यानिकी हिमालय है जिस कारण इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है। इनका वाहन वृषभ है तथा इनके हाथ में त्रिशूल तथा कमल विद्यमान है।

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मां शैलपुत्री
मां शैलपुत्री

मां ब्रह्मचारिणी

माँ दुर्गा का दूसरा रूप है मां ब्रह्मचारिणी जिसका अर्थ होता है तप का आचरण करने वाली देवी। माना जाता हैं कि इन्होने शंकर भगवान से विवाह करने के लिए कड़ी तपस्या की थी। इनका यह रूप बहुत ही ज्योतिर्मय माना गया है, इनके हाथ में कमंडल, तथा माला है तथा इनकी पूजा करने से सदाचार की प्राप्ति होती है।

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मां ब्रह्मचारिणी

चंद्रघण्टा देवी

चंद्रघण्टा देवी में तीनो महादेवो की शक्ति है इक रोप बहुत अद्भुत है, इनके सिर पर अर्द्ध चंद्र उपस्थित है इसलिए इन्हें चंद्रघण्टा कहा जाता है। यह नकारात्मक शक्तियों को दूर भगाने का कार्य करती है तथा इनका वाहन सिंह है। इनकी आराधना करने से मनोबल मजबूत होता है सकारात्मकता आती है।

चंद्रघण्टा देवी
चंद्रघण्टा देवी

कूष्मांडा माता

कूष्मांडा माता देवी को नवरात्रि के चतुर्थ दिन पूजा जाता है। इनके द्वारा ही हमारे ब्रह्मांड का निर्माण हुआ हैं। जब इस संसार में कुछ नहीं था केवल अँधेरा ही अँधेरा था तब माता कूष्मांडा ने अपनी ऊर्जा से इस संसार को निर्मित किया था। इनकी कूष्मांडा का आठ भुजाएं हैं, वे इनमें धनुष, बाण, कमल, अमृत, चक्र, गदा और कमण्डल धारण करती हैं।

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कूष्मांडा माता

स्कंदमाता

पांचवें दिन माता स्कंदमाता की पूजा की जाती है। इनकी गोद में कार्तिकेय भगवान विद्यमान है तथा कार्तिकेय का एक नाम स्कंद भी है जिस कारण इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है। इनका वाहन सिंह है, इनकी चार भुजाएं हैं, दो भुजाओं में कमल सुशोभित हैं तो वहीं एक हाथ वर मुद्रा है।

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स्कंदमाता

कात्यायनी माता

कात्यायनी माता नवरात्रि के छठे दिन पूजी जाती है, माता कात्यायनी ने ऋषि कात्यायन की तपस्या से खुश होकर उनके घर पुत्री रुप में जन्म लिया था और ऋषि कात्यायन ने ही सर्वप्रथम इनका पूजन किया था।जिस कारण इनका नाम कात्यायनी पड़ा। इनका रूप अत्यंत चमकीला है तथा । इनकी चार भुजाएं हैं, एक हाथ में अभयु मुद्रा एक में हाथ वरमुद्रा, और एक में तलवार तथा अंतिम हाथ में कमल धारण किये हुए है।

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कात्यायनी माता

कालरात्रि माता

सातवें दिन माता कालरात्रि की पूजा अर्चना की जाती है। इनका स्वरूप अत्यंत प्रचंड है लेकिन यह अपने भक्तो पर सदा कृपा बना कर रखती है। इनकी पूजा करने से सारे दुःख नष्ट हो जाते हैं तथा भय दूर होता है। यह दुष्टों से पाने भक्तो की रक्षा भी करती है।

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कालरात्रि माता

महागौरी माता

दुर्गा अष्टमी के दिन माता महागौरी की आराधना की जाती है। महागौरी पार्वती माता को कहा जाता है जिन्होंने शिव से विवाह के लिए तपस्या की थी जिस कारण उनका रंग काला होगया था। पर शिवजी उनकी तपस्या से अति प्रसन्न हुए थे और उन्होंने उन्हें एक गौरवर्ण प्रदान किया इसलिए ये महागौरी कहलाईं। इनकी भी चार भुजाएं हैं। दाहिनी और अभय मुद्रा और त्रिशूल धारण करती हैं। बाईं ओर के डमरु तथा वर मुद्रा है।

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महागौरी माता

सिद्धिदात्री माता

अंतिम दिन मां दुर्गा के नौवें स्वरुप मां सिद्धिदात्री का पूजन किया जाता हैकहा जाता है की इनकी पूजा से भक्त को सिद्धियों की प्राप्ति होती है। भगवानशंकर ने इन्हीं के द्वारा से सिद्धियों की प्राप्ति की थी । ये कमल के फूल पर विराजती हैं औरइनका वाहन सिंह है। इनकी आराथ्ना से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

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सिद्धिदात्री माता

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