मारपीट करने पर कौन सी धारा लगती है

मारपीट करने पर कौन सी धारा लगती है?

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By Mridul Navgotri

भारत में हर जुर्म करने पर सजा निश्चित होती है। यह सजाएं आईपीसी, 1860 (भारतीय दंड संहिता) के व्यापक कानून के तहत दी जाती है। यह संहिता हर अपराध के लिए देने वाली सजा और जुर्माने को दर्शाता है। इसमें हर जुर्माना और सजा धारा के रूप में लिखी हुई है। आज हम जानेंगे कि मारपीट करने पर कौन सी धारा लगती है ?

मारपीट करने पर कौन सी धारा लगती है ?

मारपीट के दौरान किसी को अगर गंभीर चोट आती है तो उसके अंतर्गत धारा 320 के तहत सजा दी जाती है। गंभीर चोटों में आठ प्रकार के प्रकरण दर्ज किये जा सकते हैं। उन गंभीर चोटों में निम्नलिखित आती हैं :-

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1. भयंकर चोट

मारपीट के दौरान मर्म स्थल पर चोट लगना भयंकर चोट में आता है। मर्म स्थल से तात्पर्य है कि मस्तिष्क, आंख, छाती आदि जगहों पर क्षतिग्रस्त होना। जो छोटे जीवन को संकट में डाल दें वे भी भयंकर चोट के अंतर्गत आती है। ऐसी चोटें जिससे व्यक्ति 20 दिन तक अच्छे से चल फिर नहीं सकता वे साड़ी चोट इसके अंतर्गत आती हैं। ऐसी चोटों की सजा धरा 320 के आठवे खंड में लिखी गयी हैं।

2. सर या चेहरे की चोट

सर या चेहरे पर किसी स्थाई चोट का निशान बन जाना या उसके सर या चेहरे का आकार क्षति के कारण बदल जाना धारा 320 के अंतर्गत आता है। नाक या कान को काट देना भी इसी प्रकरण में दर्ज किया जाता है।

3. अंग या जोड़ का विच्छेद

मारपीट के दौरान किसी व्यक्ति के अंग काट देना या उसके अंग को विच्छेद कर देना गंभीर चोट के अंतर्गत आता है। किसी भी जोड़ या अंग को तोड़ देना या उस पर घोर आघात करना भी धारा 320 के अंतर्गत अर्थात गंभीर चोट में आता है।

4. नेत्र दृष्टि विच्छेद

नेत्र हमारे जीवन के लिए कितने आवश्यक है। यह हम सभी बखूबी जानते है। नेत्र के बगैर कोई भी काम नहीं हो सकता। नेत्र को किसी भी तरह की क्षति देना या उससे फोड़ देना या उस पर चोट करना गंभीर चोट में आता है। इस तरह की गंभीर चोट लगने पर भी धारा 320 के अंतर्गत कार्यवाही की जाती है।

5. हड्डियां या दांत तोड़ना

किसी व्यक्ति की हड्डी या दांत तोड़ने की क्षति गंभीर चोट में आती है। किसी की भी हड्डी टूटने से यह डर होता है की शायद वह अपाहिज हो सकता था। इसके अलावा और भी पारिवारिक और सामाजिक असुविधा उसे झेलनी पड़ेंगी। दांत तोड़ने से उसके जबड़े और चेहरे दोनों को ही दुविधा होगी इसलिए इस चोट को भी धारा 320 के अंतर्गत लिया जाता है।

6. स्थाई नुक्सान

किसी व्यक्ति के अंगो की कार्य करने की क्षमता का नाश कर देना स्थाई नुक्सान कहलाता है। स्थाई नुक्सान में हो सकता है की किसी व्यक्ति के अंग सही सलामत हों पर उसे मार कर या क्षति पहुंचा कर उसके अंग के काम करने की शक्ति छीन लेना स्थाई नुकसान में आता है। स्थाई नुकसान भी गंभीर चोट में लिया जाता है अतः इसमें भी धारा 320 के अंतर्गत सज़ा दी जाती है।

7. सुनने की शक्ति का विच्छेद

किसी क्यक्ति के कान पर प्रहार करने के कारण उसकी सुनने की शक्ति का चले जाना गंभीर के अंतर्गत आता है। अनेक लड़ाई झगड़ो में कान पर मुक्का पड़ने या किसी हथियार से प्रहार होने से व्यक्ति की सुनने की शक्ति चली जाती है। ऐसी किसी भी चोट का लगना गंभीर चोट के अंतर्गत धारा 320 में आता है।

8. यौन अंगों को क्षतिग्रस्त करना

यौन अंगो को किसी व्यक्ति द्वारा चाहे वह पुरुष हो या महिला गंभीर चोट के अंतर्गत अत आता है। यौन अंगो को क्षतिग्रस्त करने में अंडकोष को दबा देना , अंडकोष को सदा के लिए दुर्लभ बना देना, और किसी हथियार से अंडकोष पर प्रहार होना जिससे यौन सम्बन्धी बीमारियां हो सकती हो आदि आते हैं। ऐसा कुछ करने वाले व्यक्ति को धारा 320 के अंतर्गत सजा दी जाती है।

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