मानसिक रोग कितने प्रकार के होते हैं

जानिए मानसिक रोग कितने प्रकार के होते है

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By Nitesh Harode

जब कोई व्यक्ति स्ट्रेस का सामने करने में असक्षम होता है तब वह प्रतिरोधक-अभिविन्यस्त कूटनीति की ओर रुझान कर लेता है। स्ट्रेस का सामना न कर पाने वाले व्यक्तियों की स्थिति के लिए उनकी ज़िंदगी पूर्णतः ज़िम्मेदार है। स्ट्रेस का सामना न कर पाने पर बहुत से मानसिक रोग हो सकते हैं। आज हम जानेंगे कि मानसिक रोग कितने प्रकार के होते हैं ?

मानसिक रोग कितने प्रकार के होते हैं ?

ज्वर, खांसी, जुकाम इत्यादि शारीरिक समस्या तो उतपन्न करते ही हैं परन्तु यह मानसिक रोग भी उतपन्न कर सकते हैं। मानसिक रोग उतपन्न करने में चिंता से लेकर गंभीर मानसिक डिसऑर्डर जैसे हेर-फेर या खंडित मानसिकता हो सकती है। इन सब के माध्यम से मानसिक रोगों को निम्नलिखित रूप से विभाजित किया गया है :-

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1. साइकोसोमेटिक

आज के युग में लोगों को शारीरिक समस्या से ज़्यादा मानसिक समस्याएं हो रही है। जिनका उन्हें पता भी नहीं है जैसे स्ट्रेस और एंग्जायटी से ब्लड प्रेशर, डायबिटीज इत्यादि जैसे शारीरिक समस्याओं का खतरा होता है। साइकोसोमेटिक डिसऑर्डर अर्थात मनोदैहिक विकार ऐसा रोग होता है जो शारीरिक होता है परन्तु इसका कारण मानसिक होता है।

2.  चाइल्डहुड डिसऑर्डर

कुछ विकार बच्चों में बचपन से होते हैं। जिनमे हो सकता है की बच्चा बिलकुल न मुस्कुराए, देर से भाषा सीखे, स्वलीन विकार जिसमे बच्चा अंतर्मुखी हो जाता है, हाइपर एक्टिविटी व्यवहार, किसी भी चीज़ पर सावधान नहीं रहना इत्यादि आते हैं। इस विकार से बचने के लिए डीएसएम का चौथा इम्प्रैशन चाइल्डहुड के विभिन्न प्रकार के विकारों का सलूशन है। बच्चों को किसी भी प्रकार के मानसिक रोग से बचाने के लिए डीएसएम के इम्प्रेशंस बचपन में लगवाना आवश्यक है।

3. मेंटली डिसऑर्डर

मेंटली डिसऑर्डर अशांत विचारों,मनोभावों और व्यवहार से होते हैं। इस डिसऑर्डर या विकार में व्यक्ति गंदे कपड़े पहनता है, कूड़े के पास पड़े गंदे खाने को खाता है, अजीब तरिके से बातचीत या व्यवहार करता है इत्यादि। इन व्यक्तियों को लोग पागल, बेसुधा आदि कहते हैं।

4. साइकोएनालिसिस

इस प्रकार के मानसिक रोग में व्यक्ति ऐसी आवाजे सुनता है जो असल में वहां नहीं होती और वह ऐसी चीज़ें भी देखता है जो वहां नहीं होती। इस विकार के होने के कारण असंगत मानसिकता, दोषपूर्ण अभिज्ञ, संचालक कार्यकलापों, नीरस और अनुपयुक्त होते हैं।

5. एंग्जायटी डिसऑर्डर

अगर कोई व्यक्ति बिना किसी कारण के डरा हुआ, भयभीत या चिंतित महसूस करता हो तो उस व्यक्ति को एंग्जायटी डिसऑर्डर है। इसमें चिंता की भवन विभिन्न रूप में दिखाई दे सकती है। इनमे से कुछ विकार किसी चीज से अत्यंत और तर्कहीत डर के कारण होते है। इसके अलावा एक विकार ऐसा भी होता है जिसमे बेवजह कोई व्यक्ति एक ही चीज के बारे में बार-बार सोचता हो।

6. सोमेटिक डिसऑर्डर

सोमेटिक डिसऑर्डर वे होते हैं जो शारीरिक होते हैं पर इनका सही कारण सामने नहीं आता। उदाहरण के तौर पर किसी व्यक्ति का पेट दर्द हो रहा हो लेकिन उसके पेट में कोई समस्या न हो।

7. मूड डिसऑर्डर

जिन व्यक्तियों के मनोभाव दीर्घकालीन होते हैं और किसी एक मनोभाव पर स्थिर हो जाते हैं या इन भावनाओं की श्रेणियों में बदलते रहते हैं। ऐसी श्रेणियों के अनुसार मूड डिसऑर्डर दो प्रकारों में विभाजित है :-

  1. डिप्रेशन – ऐसी मानसिक अवस्था जिसमे व्यक्ति उदासी, निराशा, असहायता, अयोग्यता, दोषी महसूस करना, वजन कम होना या बढ़ना या भूख ज़्यादा लगना, आलस, भूख में कमी, नींद कम आना, प्रसन्नता का अभाव, रूचि का अभाव इत्यादि समस्याओं से गुजर रहा हो और उसमें नकारात्मक विचारधारा के लक्षण दिख रहे हैं तो उस व्यक्ति को मूड डिसऑर्डर है।
  2. बाइपोलर डिसऑर्डर – यह विकार बड़ा ही अजीब होता है इसमें व्यक्ति कभी खुश, सक्रिय, उन्माद में रह सकता है परन्तु उसकी दशा असल में असामान्य रूप से बदलती रहती है। इस प्रकार के विकार को बाइपोलर डिसऑर्डर कहते हैं।

8. विघटनशील विकार

इस विकार में व्यक्ति अपना पुराना अस्तित्व भूल जाता है और अचानक से भिन्न प्रकार का महसूस करता है। सरल भाषा में अगर बोला जाये तो वह अपनी याद्दाश्त खो देता है। इस विकार में व्यक्ति अपना नया अस्तित्व महसूस करता है। इस विकार में व्यक्ति तनावपूर्ण स्थिति के कारण अपनी व्यक्तिगत सूचना को याद करने में असमर्थ होता है। इसमें व्यक्ति अपना पिछला अस्तित्व, गत घटनाएं और आस-पास के लोगों को पहचानने में असमर्थ हो जाता है।

9. पर्सनालिटी डिसॉर्डर

यह किसी व्यक्ति में हानिरहित अलगाव से ले कर भावनाहीन क्रमिक हत्यारे के रूप में सामने आते हैं। इस विकार की श्रेणियां तीन समूहों में विभाजित है। पहले, समूह की विशेषता अजीब और सनकी व्यवहार है. चिंता और शक दूसरे समूह की विशेषता है और तीसरे समूह की विशेषता है नाटकीय, भावपूर्ण और अनियमित व्यवहार। पहले समूह में व्यामोहाभ, अन्तराबन्धा, पागल (सिज़ोटाइपल) व्यक्तित्व विकार सम्मिलित हैं. दूसरे समूह में आश्रित, परिवर्जित, जुनूनी व्यक्तित्व मनोविकार बताए गए हैं. असामाजिक, सीमावर्ती, अभिनय (हिस्ट्राथमिक), आत्ममोही व्यक्तित्व विकार तीसरे समूह के अन्तर्गत आते हैं।

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