करवा चौथ कैसे मनाया जाता है

करवा चौथ की पूरी कहानी, जानें क्यों मनाया जाता है करवा चौथ तथा इसे केसे मनाएं

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By Pooja Sharma

हर पतिव्रता पत्नी करवा चौथ पर व्रत रखती है तथा पुरे विधि विधान से इस व्रत को पूर्ण करती है। माना जाता है कि इस व्रत को करने से पति की उम्र लम्बी होती है तथा उन्हें एक स्वस्थ जीवन मिलता है। करवा चौथ पर महिलाएं करवा चौथ की कथा सुनती है तथा पुरे देश में इस त्यौहार को बड़े उल्लास के साथ बनाया जाता है, हर वर्ष कई नई शादियाँ होती है और जिन महिलाओं का पहला करवा चौथ का व्रत होता है उनके मन में कई प्रश्न होते हैं जैसे कि इस त्यौहार को सही से केसे मनाएं? आखिर यह त्यौहार क्यों मनाया जाता है आदि।

करवा चौथ की कहानी

कहा जाता है करवा नाम की एक पतिव्रता महिला थी। उनका पति एक दिन नदी में स्नान करने के लिए गया तथा नहाते समय एक मगर ने उसका पैर पकड़ लिया। फिर उन्होंने अपनी पत्नी करवा को मदद के लिए पुकारा। करवा ने अपने तपोबल से उस मगर को बंधी बना लिया तथा मगरमच्छ को लेकर यमराज के पास पहुच गयी।

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यमराज ने करवा से कहा कि आप क्या चाहती हैं? तभी करवा ने यमराज से कहा कि इस मगरमच्छ ने मेरे पति के पैर को पकड़ लिया था ,आप अपनी शक्ति से इसे मृत्युदंड दें और नरक में ले जाएं। यमराज ने कहा कि अभी इस मगर की आयु बची हुई है इसलिए मैं इसे मृत्यु दंड नहीं दे सकता हूँ।

तभी करवा ने कहा कि अगर आप मगर को मारकर मेरे पति को चिरायु होने का वरदान नहीं देंगे तो मैं अपने तपोबल से आपको ही नष्ट कर दूंगी। करवा माता की बात सुनकर चित्रगुप्त सोच में पड़ गए करवा के सतीत्व के कारण वे न तो उसे श्राप दे सकते थे और न ही उसकी बात को नज़रअंदाज कर सकते थे। जिसके पश्चात चित्रगुप्त ने मगर को यमलोक भेज दिया और करवा के पति को दीर्घायु होने का आशीर्वाद दिया।

चित्रगुप्त ने कहा जिस तरह से आपने अपने तपोबल से अपने पति के प्राणों की रक्षा की है इससे में काफी खुश हूँ मैं वरदान देता हूं कि आज के दिन जो महिला पूर्ण श्रद्धा के साथ तुम्हारा व्रत करेगी, उसके पति की रक्षा मैं स्वयं करुंगा। उस दिन कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि होने के कारण इसका नाम करवा चौथ पड़ा। इस तरह से मां करवा पहली स्त्री हैं जिन्होंने अपने सुहाग की रक्षा के लिए करवा चौथ का व्रत किया था। तथा इस व्रत को भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर द्रौपदी ने भी किया था।

करवा चौथ क्यों मनाया जाता है?

माना जाता है कि इस दिन व्रत और पूजा पाठ करने से पति को एक स्वस्थ्य जीवन प्राप्त होता है तथा उनकी उम्र भी लम्बी हो जाती है। इसीलिए इस दिन निर्जला उपवास रखा जाता है तथा भगवन गणेश, शिव पार्वती या पाने आराध्य देव की पूजा की जाती है और साथ ही करवा चौथ की कथा भी पड़ी जाती है। दाम्पत्य जीवन को खुशहाल बनाने के लिए इस दिन कामना की जाती है।

करवा चौथ कैसे मनाया जाता है?

करवा चौथ के दिन सुबह जल्दी उठ कर स्नान आदि के बाद व्रत प्रारम्भ किया जाता है, व्रत की शुरुआत सास बहु को सरगी और सुहाग का सामान दे कर करती है। तथा रात को चाँद के निकलने के बाद उस चांद को अर्घ्य दिया जाता है फिर पत्नी छलनी से चाँद को देखती है तथा फिर पति का मुख देखती है और पानी को पानी पिलाती है उनकी पूजा करती है, एक थाली में दीपक कंकू आदि से पति की पूजा की जाती है। इसके बाद उपवास खोला जाता है तथा साथ में भोजन किया जाता है।

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