घड़ी को संस्कृत में क्या कहते हैं?

घड़ी को संस्कृत में क्या कहते हैं?

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By Nitesh Harode

जीवन में घड़ी बहुत ही महत्वपूर्ण है। यह समय की जानकारी और काम को समय से करने में मदद करती है, हर कोई अपना काम समय के अनुसार ही करता है। सुबह उठने के लिए अलार्म घड़ी का उपयोग किया जाता है अगर कही जाना है तो भी घड़ी का उपयोग करते हैं ताकि हम वहा पहुचने में लेट ना हो जाएँ। जीवन में दिनचर्या बहुत जरूरी है और यह समय के ज्ञान के बाद ही सम्भव है, हम दिन रात का अंदाजा तो सूर्य को देख कर लगा सकते है पर सटीक समय घड़ी से ही पता चलता है। घड़ी को हाथ में पहना जा सकता है. दिवार प रलटकाया जा सकता है या टेबल पर रखा जा सकता है। घड़ी से हमे सिख मिलती है कि समय किसी के लिए नही रुकता है। आगे हम जानेंगे कि घड़ी को संस्कृत में क्या कहते हैं?

घड़ी को संस्कृत में क्या कहते हैं

घड़ी को संस्कृत में घटिक कहते हैं। दुनिया में अनेक प्रकार की घड़ी मोजूद है बड़ी, छोटी, लम्बी, गोल, चोकोर आदि,। प्राचीन समय की घड़ीयाँ देखने में अद्भुत लगती है तथा इन्हें सहेज कर रखा गया है।

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