एकादशी को चावल क्यों नहीं खाना चाहिए?

एकादशी को चावल के सेवन की क्यों होती है मनाही? यह सच में होते हैं इसके कुछ

No Comments

Photo of author

By Nitesh Harode

एकादशी के दिन क्या खाना चाहिए, उपवास में क्या करना चाहिए, क्या इस दिन मनाही है ये सब तो आपने ज्ञानग्रंथ पर पढ़ा ही होगा। पर क्या आप जाते हैं कि एकादशी के दिन आप व्रत करें या न करें, लेकिन इस दिन चावल खाने की मनाही होती है! आखिर ऐसा क्यों? तो चलिए आज हम इसी विषय पर चर्चा करते हैं और बताते हैं इसके पिछे का कारण। जानिए एकादशी को चावल क्यों नहीं खाना चाहिए ?

एकादशी को चावल क्यों नहीं खाना चाहिए?

वैसे तो सनातन धर्म में हर एक दिन का कुछ न कुछ महत्व है लेकिन एकादशी की अगर हम बात करें तो इसका बड़ा ही महत्व है और इसे पवित्रा दिन माना जाता है। हर माह में 2 बार एकादशी यानि ग्यारस आती है। यह दिन व्रत तथा पूजा पाठ के लिए उचित माना जाता है, कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखने से दुखों से मुक्ति मिलती है। पर हमे इस दिन कई प्रकार के नियमों का पालन करना पड़ता है, जैसे – तामसिक चीजो को ना खाए, चावल ना खाए, गुस्सा ना करें आदि।

ज्ञानग्रंथ का WhatsApp Channel ज्वाइन करिये!

अब बात करते हैं उस टॉपिक की जिसके लिए आप यहां आये हैं। तो दोस्तों, एकादशी को चावल इसलिए नही खाए जाते हैं क्योकि एक कथा के अनुसार महर्षि मेधा ने स्वयं को माँ शक्ति से बचाने के लिए धरती पर आ कर अपना जीवन त्याग दिया और चावल और जौ के रूप में धरती में जन्म लिया था। इस दिन एकादशी थी तथा एकादशी के दिन इनका सेवन करना महर्षि मेधा के खून और रक्त का सेवन करने के समान है।

साथ ही यह मान्यता भी है कि इस दिन यदि आपने चावल खाये तो आप अगले जन्म में सरीसृप का रूप धारण करेंगे।

चावल का पानी से क्या संबंध है?

चावल का संबंध पानी से है, और पानी का संबंध चंद्रमा से है। मन में पांचों ज्ञान इंद्रियों को नियंत्रित करने की क्षमता होती है, कहा जाता है कि मन को स्थिर या अस्थिर कर सकता है। शास्त्रों के अनुसार चंद्रमा मन और सफेद रंग दोनों का स्वामी है, यही कारण है कि जल तत्व राशि वाले व्यक्ति अपनी भावनाओं पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं और अक्सर जीवन में धोखा खाने की संभावना रखते हैं।

चावल खाने से क्यों बचना चाहिए?

हिन्दू केलेंडर के अनुसार साल भर में चौबीस एकादशियों आती है और कहा जाता है कि इस दौरान चावल का सेवन करने से परहेज करने की सलाह दी जाती है। यदि इस दिन कोई व्यक्ति चावल खाएं तो वह अगले जन्म में सरीसर्प बनता है, इसीलिए एकादशी के दिन चावल नहीं खाना चाहिए।

चावल उगाने के लिए मिट्टी आवश्यक नहीं

आज भी चावल मिट्टी के बिना उगाये जा सकते हैं; वे बस पानी छिड़कने से अंकुरित हो जाते हैं।इसीलिए कहा जाता है किजीवित प्राणी हैं, और यही कारण है कि एकादशी के दिन उन्हें भोजन के रूप में सेवन करने से बचने की प्रथा है। इसीलिए जरुरी है कि धर्म भ्रष्ट न हो और विष्णु स्वरूप एकादशी का व्रत सात्विक तरीके से मनाया जाए।

FAQs

एकादशी को चावल खाने से क्या होता है?

मान्यता है कि एकादशी को चावल खाने से व्यक्ति अगले जन्म में सरीसृप का रूप धारण कर लेता है।

तो दोस्तों, कैसी लगी आपको आज की हमारी ये जानकारी? ऐसी ही अन्य जानकारियों के लिए आप ज्ञानग्रंथ को बुकमार्क करिये और साथ ही हमारे सोशल मीडिया एकाउंट्स को फॉलो करिये ताकि छोटी से छोटी जानकारी भी आप तक पहुँच सके।

कुछ और महत्वपूर्ण लेख –

0Shares

Leave a Comment