दुर्गा सप्तशती का पाठ कितने दिन में खत्म करना चाहिए

Navratri 2023 : क्या है दुर्गा सप्तशती? कैसे पूर्ण करें इसका पाठ

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By Pooja Sharma

नवरात्री का त्यौहार हिन्दू धर्म का विशेष त्यौहार है, वर्ष में चार बार नवरात्री आती है तथा शारदीय नवरात्री में जगह-जगह माता के पंडाल सजते हैं तथा माता की मूर्ति स्थापित की जाती है। कहा जाता है कि जो भी भक्त इन दिनों माता की पुरे दिल से आराधना करता है तथा दुर्गा सप्तशती का पाठ करता है उसकी सारी मनोकामनाएँ पूर्ण होती है तथा दुर्गा माता अपने उस भक्त के सारे दुःख दर्द हर लेती है और उसके जीवन में खुशिया ही खुशियाँ भर देती है। दुर्गा सप्तशती का पाठ यदि पुरे विधि विधान से किया जाएँ तो यह बड़ा लाभकारी होता हैं, दुर्गा सप्तशती का पाठ यदि नवरात्री के पावन अवसर पर किया जाएँ तो भक्त को उचित लाभ मिलता है।

नवरात्री का पर्व नौ दिनों का होता है और हर दिन माता के एक रूप क समर्पत होता है, नवरात्री के समय में व्रत रखे जाए हैं, हवन, आदि किये जाए हैं तथा दुर्गा सप्तशती का पाठ भी किया जाता है। यदि आप दुर्गा सप्तशती के बारे में जानन चाहते हैं तो इस लेख को जरुर पढियेगा।

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दुर्गा सप्तशती मार्कंडेय पुराण का एक भाग है, माना जाता है कि इसमें ब्रह्मा जी और ऋषि मार्कंडेय के बीच मां दुर्गा पर हुई देवी की महिमा का अंश है तथा इसमें 13 अध्याय है तथा 700 श्लोक है तथा इन अध्यायों को तीन भागो में बाटा गया है। दुर्गा सप्तशती का पाठ एक दिन में पूरा कर पाना असम्भव है इसीलिए आप नियम के साथ इसे रुक रुक कर भी कर सकते हैं, आइयें जानते हैं कि दुर्गा सप्तशती का पाठ करने के क्या नियम है तथा इसे कितने दिन में खत्म किया जा सकता है।

दुर्गा सप्तशती का पाठ कितने दिन में खत्म करना चाहिए?

दुर्गा सप्तशती में कुल 13 अध्याय है जिन्हें आप नवरात्री के नौ दिनों में नियम के अनुसार पूर्ण कर सकते हैं। आपको नीचे यह सूचि मिल जाएगी की आप किस दिन कौनसा अध्याय समाप्त कर सकते हैं और आपको अंतिम दिनों में क्या करना चाहिए।

  • प्रथम दिवस- 1 अध्याय
  • द्वितीय दिवस- 2 व 3 अध्याय
  • तृतीय दिवस- 4 अध्याय
  • चतुर्थ दिवस- 5, 6, 7, 8 अध्याय
  • पंचम दिवस- 9 व 10 अध्याय
  • छठा दिवस- 11 अध्याय
  • सप्तम दिवस- 12 व 13 अध्याय
  • अष्टम दिवस- मूर्ति रहस्य, हवन व क्षमा प्रार्थना
  • नवम दिवस- कन्याभोज 

आप सप्तम दिवस पर सम्पूर्ण दुर्गा सप्तशती का पाठ पूर्ण कर सकते हैं जिसके पश्चात आठवें दिन हवन आदि कर नवें दिन कन्याभोज करवा कर दुर्गा सप्तशती का पाठ का समापन कर सकते हैं। दुर्गा सप्तशती को राहू काल में करना शुभ माना गया है वैसे तो इस काल को अन्य कार्यो के लिए अशुभ माना गया है पंरतु इस काल में दुर्गा सप्तशती का पाठ करना शुभ होता है यदि आप इस काल में इसका पाठ करते हैं तो आपको उचित लाभ मिलता है।

दुर्गा सप्तशती का पाठ प्रारम्भ करने से पहले नवार्ण मंत्र और कीलक और अर्गला स्तोत्र का पाठ करने का विधान जिसके बाद आप दुर्गा सप्तशती का पाठ शुरू कर सकते हैं। आपको गणेश पूजन, नवगृह पूजन और ज्योति पूजन के बाद ही दुर्गा सप्तशती का पाठ प्रारम्भ करना है ताकि आपको पाठ का लाभ मिल सकें और आपकी सारी सही मनोकामनाएँ पूर्ण हो सकें।

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