ध्यान में बाधक तत्व कौन कौन से हैं?

ध्यान में बाधक बनने वाले तत्वों के नाम!

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By Nitesh Harode

किसी कार्य को करने के लिए उसे ध्यानपूर्वक करना होता है पर कई बार हमने देखा होगा कि हम उस कार्यो में ध्यान केन्द्रित नही कर पा रहे हैं, और निश्चित किये गये कार्य को पूर्ण करने में हमें समस्या आती है। किसी भी कार्य को करने के लिए उसमे ध्यान लगाना पड़ता है तथा आप पास की उन सब गतिविधियों को नज़रअंदाज़ करना होता है जो हमें बाधित कर सकती है। Meditation या ध्यान करते समय कई ऐसे कारक होते हैं जो बाधा उत्पन्न कर सकते हैं और आपको ध्यान लगा कर कार्य करने में लगाने में परेशानी हो सकती है, यदि आप उन कारको के बारे में पहले ही जान लेंगे तो आपको उनसे निपटने में आसानी रहेगी और आप अच्छे से ध्यान लगा सकेंगे। क्या आप जानते है कि किन कारण से आपको ध्यान केन्द्रित करने में बाधा आती है अगर नही तो इस लेख में आप जानेंगे कि ध्यान में बाधक तत्व कौन कौन से हैं?

ध्यान में बाधक तत्व कौन कौन से हैं?

बहुत से ऐसे तत्व हैं जो ध्यान में बाधा उत्पन्न करते हैं जिसमे मुख्यतः

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  • नियम पालन में अनियमितता
  • मन की चंचलता
  • आलस्य
  • प्रमाद
  • अधिक श्रम
  • अधिक भोजन
  • अत्याधिक बहुर्मुखी होना

नियम पालन में अनियमितता

अगर आप अपने काम नियम से नही करते हैं तो निश्चित ही आपको ध्यान केन्द्रित करने में मुश्किल होगी क्योकि अनियमित रूप से काम करने में बहुत सी समस्याएं आती है आप समय से कार्य करेंगे तो ही आपको सफलता मिलेगी और आप ध्यान लगा कर कार्य कर सकेंगे। समय पर अपने कार्यो को करने से आप पाएंगे कि आपको किसी भी कार्य में ध्यान केन्द्रित करने में कम समस्या आएगी। इसके लिए किसी भी प्रकार के कार्य को टालना नहीं चाहिए तथा हमेशा कार्य को समय पर ही करना चाहिए।

मन की चंचलता

चंचल मन को ध्यान केन्द्रित करने में काफी मुश्किल आती है क्योकि वह एक समय में एक ही काम करने में असफल होता है, अगर आपका मन भी चंचल है तो आपने देखा होगा की आप जिस कार्य को कर रहे हैं उसे छोड़ कर आपका दुसरे काम को करने का मन करेगा या फिर दोस्तों के साथ घुमने जाने की इच्छा हो सकती है, सोने का मन हो सकता है, टीवी देखने, मोबाइल चलाने का मन हो सकता है आदि।

आलस्य

आलस यानिकी आलस्य करना बहुत ही बुरी आदत है अगर आप भी काम को करने में आलस करते हैं तो इस आदत को आज ही छोड़ दे वरना आपको भविष्य में पछताना पड़ेगा क्योकि समय पर काम न करने पर आपको बहुत सी परेशानिया आ सकती है जिसका पता आपको आलस करते समय नही चलता और भविष्य में आपको इस बात का अफ़सोस जरुर होता है की आपने वह कार्य समय पर क्यों नही किया। आलस खत्म करने के लिए प्रतिदिन व्यायाम करें , संतुलित भोजन करे और सकारात्मक रहें।

प्रमाद

प्रमाद आलस की तरह ही है पर यह तन की मन की दुर्बलता को दर्शाता है, जब आप मानसिक रूप से आलस करते हैं तो उसे ही प्रमाद कहा जाता है। लापरवाही, असावधानी तथा जानबुझ कर अनदेखी करना प्रमाद के अंदर आता है, यह भी ध्यान में बाधक माना जाता है। कभी भी लापरवाही नहीं करना चाहिए यह चिंता का कारण बनती हैं और आपको समस्या में दाल सकती है। किसी भी कार्य से होने वाले लाभ या हानि की अनदेखी करना भी समस्या उत्पन्न करता हैं और ध्यान केन्द्रित करने में परेशानी होती है।

अधिक श्रम

अधिक श्रम करने से ध्यान क्रेंदित करने की क्षमता में कमी आती है क्योकि अगर आप क्षमता से अधिक काम करेंगे तो आपका दिमाग और शरीर अत्यधिक थक जाएगा जिस कारण आप ध्यान नही लगा पाएँगे। क्षमता से अधिक कार्य नहीं करना चाहिए और यदि आपको लगता है कि क्षमता सामान्य से कम है तो आपको अपनी जीवनशैली में परिवर्तन कर व्यायाम और संतुलित आहार करना चाहिए।

अत्याधिक बहुर्मुखी होना

बहुर्मुखी होने का अर्थ होता है वह इंसान जो बाहरी दुनिया में ज्यादा रूचि रखता है ऐसा व्यक्तित्व रखने वाला ध्यान केन्द्रित नही कर पाता है क्योकि उसका मन ध्यान लगाने से ज्यादा बाहरी दुनिया के बारे में ज्यादा सोचता है। जिस कारण अत्याधिक बहुर्मुखी होना ध्यान में बाधकता का मुख्य तत्व माना जाता है। इससे बंचने के लिए स्वयं के साथ समय बिताने की कोशिश करना चाहिए तथा ऐसे कार्य को करना चाहिए जो आप अकेले कर सकते हैं और आपकी उनमे रुचि भी हो।

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