कोर्ट कितने प्रकार के होते है

कोर्ट कितने प्रकार के होते है?

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By Mridul Navgotri

भारत देश एक लोकतान्त्रिक देश है यहाँ हर किसी के अधिकारों की रक्षा की जाती है तथा किसी भी देश की कानून व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए न्यायालय की जरूरत होती है। क्या आप जानते है कि भारत में कितने प्रकार के न्यायालय हैं अगर नही तो इस लेख में आप जान जाएँगे कि कोर्ट कितने प्रकार के होते है?

भारत की जनसंख्या 130 करोड़ से भी अधिक है और यहाँ कई प्रकार के धर्म और जाती के लोग निवास करते हैं इतने लोगो को सुरक्षा देने तथा विवादों को सुलझाने के लिए कोर्ट आदि को निर्मित किया गया है। किसी भी प्रकार विवाद को सुलझाने में कोर्ट की अहम भूमिका होती है।

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कोर्ट कितने प्रकार के होते है?

भारत में 6 तरह की कोर्ट मोजूद है। जो निम्नानुसार है –

  • सर्वोच्च न्यायालय
  • उच्च न्यायालय
  • जिला एवं अधीनस्थ न्यायालय
  • ट्रिब्यूनल न्यायालय
  • फास्ट ट्रैक न्यायालय
  • लोक अदालत

सर्वोच्च न्यायालय

यह देश की सबसे उच्च कोर्ट है जिसकी स्थापना 28 जनवरी, सन 1950 में की गयी थी, यह देश की राजधानी दिल्ली में स्थित है। यह पुरे देश के विवादों को सुलझाने का अधिकार रखता है, सम्पूर्ण देश में मात्र एक ही सर्वोच्च न्यायालय होता है।

उच्च न्यायालय

यह कोर्ट केवल स्थित राज्य के विवादों को सुलझा सकता है, हर बड़े प्रदेश में उच्च न्यायालय स्थापित होता है, उच्च न्यायालय का मुख्य उद्देश्य आम जनता के विवादों को सुलझाना है। हमारे देश में कुल 25 उच्च न्यायालय है।

जिला एवं अधीनस्थ न्यायालय

यह कोर्ट जिला स्तर पर काम करता है इसीलिए इसे जिला एवं अधीनस्थ न्यायालय कहा जाता है। यह न्यायलय उच्च न्यायालय के नियन्त्रण में होती है। इसके फैसलो को उच्च न्यायालय में चुनोती जी जा सकती है।

फास्ट ट्रैक न्यायालय

इस अदालत को निचली अदालत का दर्जा प्राप्त है, जिसकी शुरुवात 2000 में की गयी थी, इस प्रकार की कौर्ट का उद्देश्य रुके मामलो को जल्द पूरा करना है। देश में इस प्रकार की अदालत 1562 के आस पास है।

लोक अदालत

इस प्रकार की अदालत में वकील तथा अतिरिक्त खर्च की जरूरत नही होती है, यहाँ छोटे छोटे मामलों को बातचीत से सुलझाने की कोशिश की जाती है।

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