अमेरिका का संविधान किस वर्ष लागू किया गया

जानिए संयुक्त राज्य (अमेरिका) का संविधान किस वर्ष लागू किया गया व इसकी विशेषताएं

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By Shubham Jadhav

संविधान एक प्रकार का लिखित दस्तावेज है जिसमें मूल सिद्धांत, राज्य या अन्य संगठन अभिभाषित होते हैं। आपको भारत के संविधान, मौलिक कर्तव्य व अधिकारों के बारे में तो पता ही होगा। लेकिन आज हम आपको जानकारी देंगे अमेरिकी संविधान के बारे में। आइये जानें अमेरिका का संविधान किस वर्ष लागू किया गया और संयुक्त राज्य संविधान की विशेषताएं क्या हैं ?

नयी दुनिया की स्वतंत्रता की घोषणा के बाद ही अमेरिका के संविधान का निर्माण हुआ। यह संयुक्त राज्य अमेरिका का सर्वोच्च कानून है जो अमेरिकी नागरिकों व राष्ट्र को एक सूत्र में बांधता है। इसे संयुक्त राज्य संविधान के नाम से जाना जाता है।

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अमेरिका का संविधान किस वर्ष लागू किया गया

अमेरिका का संविधान सन 1789 में लागू किया गया था। इसके निर्माण की प्रक्रिया 1776 ई. से शुरू हुई थी। इसके लिए महाद्वीपीय कांग्रेस के प्रत्येक उपनिवेश से एक-एक सदस्य को लेकर एक समिति का गठन हुआ था, जिसका प्रमुख कार्य एक ऐसे परिसंघ के संविधान को बनाना था जो स्वतंत्रता संग्राम के लिए लोगों को एकजुट कर सके।

इसे 1781 में इसे अमेरिका के प्रथम संविधान के रूप में स्वीकार तो कर लिया गया था लेकिन यह एक युद्धकालीन संविधान था, जिसे कुछ कमियों व मतभेदों के कारण 1787 में हुए फिलाडेल्फिया में हुए सम्मलेन द्वारा संशोधित किया गया, नयी धाराएं जोड़ी गयी और फिर जो संविधान बना वो आज तक लागू है।

इस संविधान में निरंतर परिवर्तन और विकास कार्य किया जा रहा है। संविधान अपनाने से आज तक इसमें 27 संशोधन किये जा चुके हैं।

संयुक्त राज्य संविधान की विशेषताएं

लिखित व निर्मित संविधान

यह विश्व का प्रथम लिखित संविधान है। जिसकी स्पष्ट उपयोगिता ने अन्य राज्यों को इसे अपनाने के लिए प्रेरित किया। इसमें न्यायिक व्याख्याओं, प्रशासनिक कार्यों और परम्पराओं के आधार पर निरंतर विकास होता रहा है।

सबसे संक्षिप्त संविधान

विश्व के लिखित संविधानों में यह सबसे संक्षिप्त संविधान है। इसमें केवल 4000 शब्दों का उपयोग किया गया है जो केवल 10 या 12 पन्नों पर प्रिंट हैं जिन्हें आप केवल आधे घंटे में पढ़ सकते हैं। संयुक्त राज्य संविधान में मात्र 7 अनुच्छेद हैं।

कठोर संविधान

यह एक कठोर संविधान है जिसमें सामान्य कानूनों के निर्माण एवं संशोधन की प्रक्रिया भिन्न है। अर्थात जिस प्रक्रिया के आधार पर सामान्य कानूनों के निर्माण का कार्य किया जाता है उसी प्रक्रिया के दवारा संवैधानिक कानूनों का निर्माण यानि संविधान में संशोधन का कार्य नहीं किया जा सकता। संशोधन हेतु कानूनों के निर्माण से भिन्न प्रक्रिया को अपनाना आवश्यक है।

गणतंत्र की स्थापना

यह संविधान अमेरिका में गणतंत्र की भी स्थापना करता है। गणतंत्र से तात्पर्य है कि यहां उत्तराधिकार आधार पर लोकतंत्र का अध्यक्ष अपना पद नहीं ग्रहण करता बल्कि जनता द्वारा उसे चुना जाता है। न केवल संघ वरन् इकाइयों में भी गणतंत्र की स्थापना की गयी है। संविधान की धारा 4 के चौथे अनुबंध में कहा गया है कि संयुक्त राज्य की संघीय सरकार इस संघ के प्रत्येक राज्य में गणतन्त्रीय सरकार की स्थापना की गारंटी देगी।

संविधान की सर्वोचता

यह संयुक्त राज्य अमेरिका का सर्वोच्च कानून है एवं राष्ट्रपति से लेकर कांग्रेस, सर्वोच्च न्यायालय तथा संघ की इकाईयां सभी इसके अधीन हैं और कोई भी इसका उल्लंघन नहीं कर सकता।

संघात्मक शासन की स्थापना

1787 के विधान द्वारा एक परिसंघ की स्थापना की गयी थी लेकिन इसकी निर्बलता को देखते हुए नवीन संविधान के द्वारा एकता और सुदृढ़ता स्थापित करने हेतु परिसंघ की जगह संघ को अपनाया गया। 1789 में अमेरिकी संघ की केवल 13 इकाई या राज्य थे लेकिन संघ की स्थापना से नवीन राज्यों का इसमें प्रवेश हुआ और आज अमेरिकी संघ में 50 राज्य या इकाइयां हैं।

प्रतिनिध्यात्मक लोकतंत्र की स्थापना

सामान्यतः लोकतंत्रात्मक शासन 2 प्रकार का होता है प्रत्यक्ष लोकतंत्र या फिर अप्रत्यक्ष अथवा प्रतिनिध्यात्मक लोकतंत्र। लेकिन एक विशाल राज्य होने की वजह से संविधान निर्माता इस बात को जानते थे कि यहां प्रत्यक्ष लोकतंत्र को अपनाना संभव नहीं है अतः प्रतिनिध्यात्मक लोकतंत्र को संयुक्त राज्य अमेरिका में अपनाया गया। इसके माध्यम से सामान्य जनता अपने प्रतिनिधियों को चुनकर उनके माध्यम से शासन के कार्यों में भाग लेती है।

न्यायिक सर्वोच्चता

संयुक्त राज्य अमेरिका एक संघात्मक व्यवस्था के अनुसार कार्य करता है और इसी कारण से यहां न्यायिक सर्वोच्चता के सिद्धांत को अपनाया गया है। यहां सभी संघात्मक राज्यों में संविधान की व्याख्या और रक्षा करने के कार्य हेतु एक सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना की गयी है। न्यायिक सर्वोच्चता से तात्पर्य है कि यदि कांग्रेस के कानूनों, राष्ट्रपति की आज्ञाओं या राज्य सरकार के कानूनों और कार्य द्वारा संविधान का उल्लंघन होता है तो सर्वोच्च न्यालाय द्वारा इन्हें अवैध घोषित किया जा सकता है। सर्वोच्च न्यायालय को मिली इसी शक्ति के आधार पर न्यायालय केन्द्रीय सरकार तथा राज्य सरकारों को अपने-अपने क्षेत्रों तक सीमित रखता है।

अध्यक्षात्मक शासन व्यवस्था

यदि हम बात करें प्रतिनिध्यात्मक लोकतंत्र की, तो इसके भी 2 भेद होते हैं संसदात्मक या मंत्रिमंडलात्मक शासन, और अध्यक्षात्मक शासन। लॉक और माण्टेस्क्यू के दर्शन से प्रभावित होने एवं शक्ति विभाजन के सिद्धांत को नागरिक स्वतंत्रताओं की रक्षा का साधन मानने के कारण अमेरिकी संविधान के निर्माताओं ने अध्यक्षात्मक व्यवस्था को अपनाया। इस व्यवस्था के अंतर्गत कार्यपालिका विभाग व्यवस्थापन विभाग से सर्वथा पृथक होता है, कार्यपालिका विभाग के प्रधान का कार्यकाल निश्चित होता है और वह अपनी नीति तथा कार्यों के लिए व्यवस्थापिका के प्रति उत्तरदायी नहीं होता।

मौलिक अधिकारों की व्यवस्था

यदि आप बात करते हैं एक लोकतंत्र की तो वहाँ पर शासन को सीमित रखने और नागरिकों की स्वतंत्रता की रक्षा करना बेहद आवश्यक है और इसीलिए अमेरिका के संविधान में भी मौलिक अधिकारों की व्यवस्था की गयी है। यह व्यवस्था फिलाडेल्फिया सम्मेलन द्वारा निर्मित संविधान के मूल प्रलेख में नहीं थी लेकिन संविधान में अनुसमर्थन हेतु विविध पक्षों के बीच जो परस्पर समझौते के बाद 1791 में प्रथम 10 संशोधन कर मौलिक अधिकारों को संविधान में जोड़ा गया। इसके बाद संविधान का 13वां, 14वां व 15वां संशोधन भी नागरिक अधिकारों के बारे में ही है।

दोहरी नागरिकता

अमेरिका के संविधान में संघात्मक व्यवस्था के साथ-साथ दोहरी नागरिकता की व्यवस्था को भी अपनाया गया है। जिसका अर्थ है कि अमेरिका के नागरिक के पास प्रथम तो संयुक्त राज्य अमेरिका की नागरिकता होती है और दूसरी जिस राज्य में वह निवास करता है वहाँ की नागरिकता भी होती है।

सीमित शासन का सिद्धान्त

ब्रिटिश राज के अत्याचार न केवल भारत ने बल्कि अमेरिका ने भी सही हैं। ब्रिटिश सम्राट जॉर्ज तृतीय के अत्याचारों को सहने के बाद उन्होंने सोच लिया था कि आने वाली पीढ़ियों को यह अत्याचार सहन न करने पड़े इसलिए असीमित शक्तियों वाला शासन होना ही नहीं चाहिए। उनका विश्वास था कि शक्ति जितनी अधिक असीमित होगी उतना ही उसका दुरूपयोग होगा इसलिए उन्होंने अनेक उपाय किए जैसे यथा संविधान की सर्वोच्चता, अधिकार-पत्र की व्यवस्था, शक्ति-पृथक्करण, न्यायपालिका की स्वतंत्र सत्ता, आदि।

व्यक्तिवादी दर्शन पर आधारित संविधान

1787 में हुए फिलाडेल्फिया सम्मेलन के सदस्य लॉक के व्यक्तिवादी दर्शन से अत्यधिक प्रभावित थे और वे चाहते थे कि यह व्यक्तिवादी दर्शन पर आधारित संविधान हो। अतः संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान को व्यक्तिवादी दर्शन पर आधारित सबसे प्रमुख संविधान और राज्य कहा जा सकता है।

शक्ति विभाजन और नियन्त्रण तथा संतुलन के सिद्धान्त पर आधारित

संविधान के निर्माता अमेरिका में एक सीमित शासन की स्थापना करना चाहते थे। यही कारण है कि अमेरिकी संविधान की अंतिम विशेषता है कि संयुक्त राज्य संविधान शक्ति विभाजन और नियन्त्रण तथा संतुलन के सिद्धान्त पर आधारित है। शासन अत्यधिक शक्तिशाली होकर नागरिकों की स्वतंत्रता को नुक्सान न पहुंचाए इसीलिए 3 संघीय शासन व्यवस्था को अपनाया गया और मौलिक अधिकारों की भी इस संविधान में व्यवस्था की गयी।

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