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आचार संहिता क्या होती है, इसे कब लागू किया जाता है व क्या हैं इसके नियम?

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By Shubham Jadhav

Achar Sanhita: जब भी कभी चुनावी माहौल शुरू होता है तो सबसे पहले हमें यही सुनने में आता है कि क्षेत्र में आचार संहिता लागु हो गयी है। लेकिन ये आचार संहिता क्या होती है? सरल शब्दों में यदि बात करें तो आचार संहिता उन नियमों की व्याख्या है जिनका पालन चुनाव के समय करना अति आवश्यक होता है। आज हम आपको इसका महत्व व इसके कब लागू किया जाता है की सम्पूर्ण जानकारी आपको प्रदान करेंगे।

आचार संहिता क्या होती है?

Code of Conduct in Hindi : आचार संहिता को इंग्लिश में कोड ऑफ़ कंडक्ट कहा जाता है। यह दिशानिर्देशों एवं नियमों का एक ऐसा सेट है जिसे चुनाव के समय लागु किया जाता है। इस संहिता के द्वारा तय किया जाता है कि राजनितिक पार्टियों को किन किन गतिविधियों से परहेज करना चाहिए। आचार संहिता का उद्देश्य होता है कि निष्पक्ष चुनाव आयोजित किये जाएं।

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भारत में चुनाव आयोग इसे लागु करता है। यह चुनाव का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा कहलाता है, एवं इसके नियमों की सूची का हर राजनितिक दल के द्वारा पालन हो रहा है या नहीं उसके ऊपर पुलिस और चुनाव आयोग नजर रखते हैं।

आचार संहिता कब लागू की जाती है?

जिस दिन से चुनाव की घोषणा होती है उसी दिन से आचार संहिता को लागू कर दिया जाता है एवं चुनाव समाप्त होकर, रिजल्ट आने तक यह लगी रहती है।

यह चुनाव की आत्मा है जिसे लागू करने के लिए एवं नियमो का कड़ाई से पालन करवाने हेतु पुलिस और चुनाव आयोग पार्टियों के कार्यों पर कड़ी निगरानी बनाये रखते हैं।

आचार संहिता सबसे पहले कब लागू हुई?

आचार संहिता का इतिहास: देश में पहली बार 1960 में आचार संहिता को केरल के विधानसभा चुनावों में लागू किया गया था। चुनाव सम्बन्धी नियमों का एक छोटा सा सेट तैयार कर वहाँ की पार्टियों को यह बताया गया था कि चुनाव की घोषणा के बाद से किन गतिविधियों को करें और किनको न करें।

उसके बाद सन 1962, 1967 में भी इन नियमों को लागू किया गया। सन 1979 में राजनितिक दलों से परामर्श के पश्चात् एक नया सेक्शन जोड़ा गया जिसके द्वारा सत्ताधारी पार्टी हेतु कुछ सीमाएं तय की गयी। इसका उद्देश्य यह था कि सत्ता में जो पार्टी है वह अपनी सत्ता और ताकत का इस्तेमाल कर अनुचित लाभ न उठा पाए।

1991 और 2013 में हुए कुछ बदलाव

सन 1991 में आचार संहिता को और मजबूत बनाने हेतु कुछ बदलाव किये गए एवं इसे फिर से जारी किया गया। उसके बाद से जिस रूप में यह 1991 में थी उसी रूप में अब तक चली आ रही है। इसके बाद 2013 सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को आदेश देते हुए कहा कि आचार संहिता में चुनाव घोषणापत्र से सम्बंधित नियमों को भी इसमें जोड़ा जाए जो कि 2014 के लोकसभा चुनावों में लागू किये गए।

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क्या हैं आचार संहिता के नियम कानून?

आचार संहिता में कुल आठ प्रावधान हैं जो पार्टियों के सामान्य व्यवहार, बैठकों, मतदान दिवस, चुनावी घोषणापत्रों, जुलुस अथवा रैली, सत्ताधारी पार्टी, मतदान केन्द्रों एवं पर्यवेक्षकों से सम्बंधित है।

सामान्य व्यवहार

राजनितिक पार्टियां किस प्रकार का सामान्य व्यवहार चुनावी समय में करेंगी उससे सम्बंधित नियम आचार संहिता में बताये गए हैं। जिनके अनुसार पार्टी वोट प्राप्त करने के लिए न तो जातिगत और सांप्रदायिक उन्माद भड़का सकती है और न ही मतदाता को किसी तरह का मौद्रिक अथवा अमौद्रिक लालच (पैसा, शराब या अन्य कोई सामान) दे सकती है। मतदाता को डरा धमका कर भी वोट नहीं लिया जा सकता है।

इसके अलावा किसी भी राजनीतिक दल की आलोचना केवल उसके नीति, कार्यक्रम व अतीत के कामों तक ही सीमित होगी। किसी भी उम्मीदवार पर निजी हमला नहीं किया जा सकता न ही गैर प्रमाणित रिपोर्ट के आधार पर किसी भी उम्मीदवार की आलोचना नहीं की जा सकती है। और न ही किसी व्यक्ति, राजनेता के किसी भी विचार के खिलाफ उसके घर के बाहर धरना-प्रदर्शन नहीं किया जा सकता है।

बैठक

पार्टी की किसी भी प्रकार की मीटिंग अथवा बैठक का जब आयोजन हो तो उसकी जानकारी स्थानीय पुलिस प्रशासन को देनी होगी। पुलिस को मीटिंग का स्थान व समय की पूरी जानकारी होगी ताकि वहाँ सुरक्षा का सम्पूर्ण बंदोबस्त किया जा सके।

मतदान दिवस

मतदान दिवस के दिन हर एक दल को अपना एजेंट नियुक्त करना होगा एवं उसे पहचान बैज देना होगा। इस बैज पर उससे सम्बंधित पार्टी का नाम, चुनाव चिन्ह या उम्मीदवार का नाम नहीं होंगे चाहिए।

चुनाव घोषणापत्र

मतदाता को प्रभावित करने वाला कोई भी वादा चुनाव घोषणापत्र में नहीं किया जा सकता है। साथ ही कोई भी वादा यदि पार्टी करती है तो उसे बताना होगा कि किस प्रकार उस वादे को वह हासिल करेंगे।

जुलूस अथवा रैली

दो राजनितिक पार्टियों के अथवा निर्दलीय उम्मीदवार एक ही मार्ग पर जुलूस निकलने की योजना बना रहे हैं तो पहले आयोजकों को इसकी सुचना देनी होगी ताकि कोई टकराव पैदा न हो। इसके अलावा किसी भी पार्टी को अन्य पार्टियों के सदस्यों का पुतला जलाने की अनुमति नहीं होगी।

सत्ताधारी पार्टी

सत्ताधारी पार्टी हेतु 1979 में कुछ नियम लागु किये गए एवं सीमाएं तय की गयी ताकि वे सत्ता और अपनी पावर का दुरूपयोग न कर सकें। इसके अंतर्गत मंत्रीगण कोई भी ऐसा आधिकारिक दौरा नहीं करेंगे जिससे चुनाव प्रभावित हो। न ही आधिकारिक मशीनरी अदि का उपयोग किया जा सकता है।

चुनाव में सरकार कोई भी ऐसा विज्ञापन जारी नहीं कर सकती जिसमें उसकी उपलब्धियों का बखान हो।

मंत्री एवं अन्य ऑथोरिटीज किसी भी तरह का वित्तीय अवदान, सड़क निर्माण, भवन निर्माण अथवा पानी या किसी भी काम का वादा नहीं सकते हैं।

मतदान केंद्र

मतदान केंद्र में केवल चुनाव आयोग की ओर से वैध पास प्राप्त एवं मतदाता ही जा सकेंगे। इनके अलावा किसी को जाने को अनुमति नहीं होगी।

पर्यवेक्षक

चुनाव आयोग द्वारा पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की जाएगी एवं किसी भी प्रकार की चुनाव के दौरान यदि गड़बड़ी होती है तो उम्मीदवार इन पर्यवेक्षकों के पास अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

FAQs

आचार संहिता को अंग्रेजी में क्या कहते हैं?

आचार संहिता को अंग्रेजी में Code of Conduct (कोड ऑफ़ कंडक्ट) कहते हैं।

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