नंदी के कान में क्या बोला जाता है

क्या सच में नंदी के कान में बोलने से पूरी होती है मनोकामना?

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By Nitesh Harode

नंदी शिव जी का वाहन है और हर शिव मन्दिर में शिवजी के सामने नंदी जी को स्थापित किया जाता है, कहा जाता है कि नंदी शिव जी के सबसे प्रिय गण हैं जो मन्दिर में द्वारपाल की भूमिका भी निभाते हैं। शिवजी के मंदिर प्रांगण में आपने अक्सर लोगों को नंदी के कान में कुछ कहते देखा होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि नंदी के कान में क्या कहा जाता है? यदि नहीं तो इस आर्टिकल में आपको इस बारे में जानकरी मिल जाएगी कि आखिर शिवजी के मन्दिर में जाने वाला हर व्यक्ति नंदी के कान में क्या कहता है और क्यों?

नंदी के कान में क्या बोला जाता है?

हर शिव मन्दिर में विराजमान नंदी जी की भी पूजा की जाती है, और माना जाता है कि इनके कान में अपनी मनोकामना कहने से वह पूर्ण हो जाती है। इसीलिए भक्त नंदी के कान में कुछ कहते हुए नजर आते हैं, वे उनके कान में अपनी मनोकामना कहते हैं। अब आपके दिमाग में यह प्रश्न आ रहा होगा कि पर आखिर नंदी के कान में कह कर ही क्यों मनोकामना मांगी जाती है? तो आपको बता दें कि शंकर भगवान अधिकांश समय तपस्या में रहते हैं, और उनकी तपस्या में किसी तरह का कोई विघ्न न आये इसीलिए द्वार पर उपस्थित नंदी के कान में मनोकामना कही जाती है। एक कथा के अनुसार स्वयं भगववान शिव ने नंदी को यह वरदान दिया था कि वह हमेशा उनके साथ रहेंगे और जो भी भक्त उनके कान में अपनी इच्छा कहेगा वह जल्द से जल्द पूरी होगी।

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नंदी आपकी प्रार्थना को शिवजी तक पहुंचाते हैं और जो भी भक्त नंदी के कान में मनोकामना मांगता है वह जल्द ही पूरी होती है। पर ध्यान रहे कि कान में मनोकामना कहने के भी कुछ नियम भी है और सही तरीके से इन नियमो का पालन करने से ही मनोकामना पूर्ण होती है।

नंदी के कान में बोलने का सही तरीका

नंदी के कान में बोलने का सही तरीका

  • मनोकामना मांगने से पहले नंदी को प्रणाम करें उन्हें दीपक लगाएं तथा पूरी श्रृद्धा से उनकी पूजा आराधना करें उसी के बाद मनोकामना मांगे, यदि आप केवल मनोकामना मांगेगे तो हो सकता है कि आपकी मनोकामना पूर्ण न हो।
  • मनोकामना मांगते समय इस बात का ध्यान रखें कि नंदी के बाएं कान में ही अपनी मनोकामना कहें, यदि आप बाएं कान में कहेंगे तो आपकी मनोकामना जरुर पूर्ण होगी।
  • नंदी से कभी भी ऐसी मनोकामना नहीं मंगनी चाहिए जिसमे किसी व्यक्ति के अहित की बात कही गयी हो क्योकि ईश्वर कभी भी ऐसी मनोकामना नहीं मानते हैं जिसमे किसी का अहित हो रहा है, उल्टा वह आपको इसके लिए दोषी मान सकते हैं।
  • मनोकामना मांगने के बाद नंदी के समीप प्रशाद के रूप में कुछ जरुर अर्पित करें और हो सके तो धन भी अर्पित कर सकते हैं। क्योकि मन्दिर में दान करने से सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।

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