गीता का कौन सा अध्याय रोज पढ़ना चाहिए?

गीता का कौन सा अध्याय रोज पढ़ना चाहिए?

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By Pooja Sharma

महाभारत के युद्ध से पहले भगवान कृष्ण ने अर्जन को कुछ ज्ञान की बातें बताई थी जो श्रीमद्भगवद्गीता के नाम से जानी जाती है, जिसे गीता के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि इसका पाठ करने से सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है तथा ज्ञान की भी प्राप्ति होती है। इसमें कुल 18 अध्याय है तो क्या इन सभी अध्यायों का पाठ प्रतिदिन करना चाहिए? जी नहीं आप केवल इसके एक महत्वपूर्ण अध्याय का पाठ रोज कर सकते हैं तो आइये जानते हैं कि गीता का कौन सा अध्याय रोज पढ़ना चाहिए?

गीता का कौन सा अध्याय रोज पढ़ना चाहिए?

गीता का 18वां अध्याय रोज पढ़ना चाहिए, 18वें अध्याय की संज्ञा मोक्षसंन्यास योग है, जिसमें गीता के सभी अध्यायों का सार और पराकाष्ठा समाहित है। यह मानव अस्तित्व के लिए सभी गुणों के महत्व पर जोर देता है।

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किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

गीता एक अविश्वसनीय पवित्र ग्रंथ है जो भारत के अलावा अन्य देशो में भी प्रसिद्ध है। गीता के श्लोक व्यक्तियों के जीवन को सही तरह से कैसे जीना चाहिए इसका मार्गदर्शन करते हैं, गीता के उपदेश हमें धार्मिक सिद्धांतों का पालन करते हुए धर्म कर्म में संलग्न रहने की शिक्षा देते हैं। महाभारत में युद्ध के मैदान में अर्जुन और कृष्ण के बीच जो संवाद होता है, उससे प्रेरणा लेना हर व्यक्ति के लिए जरूरी है। यदि आपने कभी पहले गीता नहीं पढ़ी है तो आपको पहले गीता के प्रत्येक श्लोक को पढ़कर उसके सही अर्थ को भली-भांति समझ लेना होगा। भगवद गीता का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन इसका पूरा लाभ पाने के लिए इसे सही ढंग से पढ़ना आवश्यक है। जिस तरह पूजा-पाठ और जप के लिए सुबह का समय सबसे उपयुक्त होता है, उसी तरह सुबह के समय गीता का पाठ करने की सलाह दी जाती है।

  • गीता अत्यंत पूजनीय ग्रंथ है इसलिए इसे कभी भी गंदे हाथों से नहीं छूना चाहिए। 
  • यदि कोई गीता का पाठ करता है तो उसे इसके रख-रखाव और साफ-सफाई की जिम्मेदारी लेनी होगी। 
  • सुबह उठकर स्नान करने के बाद गीता का पाठ करना चाहिए। गीता का पाठ करने से पहले चाय, कॉफी का सेवन न करना बेहतर है। 
  • भगवत गीता का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है।
  • शुरू करने से पहले भगवान गणेश और श्रीकृष्ण का ध्यान करना जरूरी है।
  • गीता पढ़ने से पहले और बाद में इसे माथे पर रखकर सम्मान देने की प्रथा है। 
  • प्रतिदिन एक निश्चित समय और स्थन पर गीता का पाठ करने और उठने से पहले कम से कम एक अध्याय समाप्त करने की सलाह दी जाती है।
  • भगवत गीता का पाठ करने के बाद गीता की आरती करना चाहिए।  
  • गीता पाठ के नियम का पालन करना और पाठ में निरंतरता बनाए रखना जरूरी है।
  • गीता का पाठ करते समय आसन पर बैठने और प्रतिदिन उसी आसन पर बैठकर पाठ करने की सलाह दी जाती है।

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