बायो मेडिकल वेस्ट कितने प्रकार के होते हैं?

बायो मेडिकल वेस्ट कितने प्रकार के होते हैं?

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By Mridul Navgotri

बायो मेडिकल वेस्ट उन्हें कहा जाता है जो स्वास्थ्य संस्थानों, अस्पताल, क्लिनिक, मेडिकल स्टोर आदि से निकलता है। यह उपचार के दौरान उपयोग की जाने वाली सामग्रियों से उत्पन्न होता है। यह वेस्ट संक्रामक रोगों के फैलने के जोखिम को बड़ा सकते हैं। यह कचरा जीव जंतु, प्रकृति, मानव सभी के लिए हानिकारक हो सकता है। इस वेस्ट को मुख्य रूप से 7 प्रकारों में बाटा गया है। आइये जानते हैं कि बायो मेडिकल वेस्ट कितने प्रकार के होते हैं?

बायो मेडिकल वेस्ट कितने प्रकार के होते हैं?

  • संक्रामक अपशिष्ट – इसमें ऐसी सामग्रियां शामिल हैं जिनमें रोगजनक होने की संभावना रहती है, जैसे रक्त, शरीर के तरल पदार्थ और मानव ऊतक।
  • शार्प वेस्ट – इसमें वे सामग्री शामिल हैं जो कट का कारण बन सकते हैं, जैसे सुई, स्केलपेल और टूटा हुआ कांच।
  • रासायनिक अपशिष्ट – इसमें खतरनाक रसायन जैसे कीटाणुनाशक, सॉल्वैंट्स और भारी धातुएँ शामिल हैं।
  • फार्मास्युटिकल वेस्ट – इसमें एक्सपायर्ड, अप्रयुक्त या दूषित दवाएं शामिल हैं।
  • रेडियोधर्मी कचरा – इसमें रेडियोधर्मी समस्थानिकों से दूषित सामग्री शामिल है।
  • पैथोलॉजिकल वेस्ट – इसमें मानव अंग, ऊतक और शरीर के अंग शामिल हैं।
  • जीनोटॉक्सिक अपशिष्ट – इसमें ऐसी सामग्रियां शामिल हैं जो संभावित रूप से उत्परिवर्तजन या कार्सिनोजेनिक हैं, जैसे कि कुछ रसायन और विकिरण स्रोत।

इस वेस्ट को अलग-अलग डस्टबिन में फैकने की जरूरत होती है इसीलिए आपको हॉस्पिटल में अलग-अलग रंग के कई डस्टबिन देखने को मिल सकते हैं।

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  • लाल डस्टबिन – ब्लड बैग, ट्यूब के पाइप, सिरिंज,ग्लब्स, यूरिन बैग, व आईवी सेट के लिए।
  • काला डस्टबिन – बेकार दवाइयां, आदि के लिए।
  • पीला डस्टबिन – मानव ऊतक(टिश्यू), प्लास्टर, गंदी पट्टियां,रक्त रंजित रुई, प्लेसेंटा, मानव के कटे हुए भाग आदि के लिए।
  • नीला डस्टबिन – सुईयां, ब्लेड, दवाओं का कचरा, कांच की टूटी बोतलें, टूटी-फूटी बोतलें।
  • हरा डस्टबिन – कागज, धातु के टुकड़े तथा अन्य साधारण कचरा।

बायो मेडिकल वेस्ट से होने वाले नुकसान

  • हेपेटाइटिस बी नामक बीमारी
  • संक्रमण से फैलने वाली बीमारियां
  • टिटनेस बीमारी का खतरा
  • संक्रमित सुई से एड्स का खतरा रहता है।
  • बायो मेडिकल वेस्ट के जलने से कई बीमारियां हो सकती हैं।
  • कूड़ा खाने से कुत्तो के मस्तिष्क पर बुरा असर पड़ सकता है जो काफी खतरनाक है।
  • कूड़े के पानी में या धूप में छोड़ने से संक्रमण फेल सकता है।

बीमारी के प्रसार को रोकने और सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा की रक्षा के लिए प्रत्येक प्रकार के बायोमेडिकल कचरे की ठीक से पहचान और प्रबंधन करना जरुरी है।

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