12 ज्योतिर्लिंग के नाम और फोटो

जानिए 12 ज्योतिर्लिंग के नाम एवं उनकी उत्पत्ति की कथा… फोटो सहित!

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By Nitesh Harode

Jyotirlinga Name: भारत एक ऐसा देश है जहां कई संस्कृतियां साथ-साथ रहती हैं। यहां हर धर्म के लोग हैं और सबको अपने अपने धर्म की उपासना करने का अधिकार प्राप्त है। यहां सबसे अधिक जनसँख्या हिन्दुओं की है जो कि विश्व का सबसे पुराना धर्म है। पूरी दुनिया में 100 करोड़ से अधिक हिन्दू धर्म के अनुयायी हैं और पाश्चात्य संस्कृति में भी हिन्दू संस्कृति को अपनाया जा रहा है। हिन्दू धर्म में 33 कोटि देवता हैं और सबसे अधिक पूजन अर्चन किया जाता है श्री विष्णु एवं महादेव का। आज हम महादेव, जिन्हें शंकर, शिव, भोलेनाथ आदि भी कहा जाता है उनके बारे में। शिव जी की पूजा उनके सम्पूर्ण रूप से ज्यादा शिवलिंग के रूप में की जाती है। आज हम शिव जी के 12 ज्योतिर्लिंगों के बारे में आपको बताएंगे कि इनके नाम क्या क्या हैं? ये कहाँ पर हैं और इनकी उत्पत्ति कैसे हुई? साथ ही यहां आपको इनके फोटो दर्शन करने को मिलेगा।

ज्योतिर्लिंग क्या है?

पुराणों और हिन्दू शास्त्रों के अनुसार ज्योतिर्लिंग वे शिवलिंग हैं जिनमें ज्योति के रूप में स्वयं भगवान् शिव मौजूद हैं। ज्योतिर्लिंग एक संस्कृत शब्द है जो दो शब्दों से मिलकर बना है “ज्योति एवं लिंग,” जिसका अर्थ होता है रोशनी का प्रतीक। कहा जाता है कि जब सृष्टि की उत्पत्ति शुरू हुई पहला आकर इसने लिया था।

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कुल 12 स्थानों पर ये ज्योतिर्लिंग मौजूद हैं।

12 ज्योतिर्लिंग के नाम और फोटो

  1. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग (गुजरात)
  2. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (मध्य प्रदेश)
  3. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (मध्य प्रदेश)
  4. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (आंध्र प्रदेश)
  5. वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (झारखंड)
  6. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र)
  7. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग (गुजरात)
  8. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग (उत्तराखंड)
  9. बाबा विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग (उत्तर प्रदेश)
  10. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र)
  11. घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र)
  12. रामेश्वरम् ज्योतिर्लिंग (तमिलनाडु)

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग (गुजरात)

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल बन्दरगाह में स्थित हैं। इसका पुर्ननिर्माण सरदार वल्लभ भाई पटेल ने सन 1955 में किया था। यह गुजरात के पश्चिम छोर पर स्थित है, यह 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे पहला ज्योतिर्लिंग माना गया है। इस मन्दिर को आक्रान्ताओं ने कई बार तोड़ने का प्रयास किया है और कई बार इस मन्दिर का पुर्ननिर्माण हो चुका है। सोमनाथ ट्रस्ट इस मन्दिर की देखरेख करता है, इस मन्दिर के आस पास कई प्रसिद्ध मन्दिर हैं पाण्डव कूप, द्वारिकानाथ मन्दिर, बालाजी मन्दिर, लक्ष्मीनारायण मन्दिर आदि।

सोमनाथ की उत्पत्ति

चन्द्र भगवान शंकर को प्रसन्न करना चाहते हैं तो उन्होंने इस शिवलिंग की स्थापना की और भगवान शंकर की आराधना करने लगे, तभी से यह सोमनाथ के नाम से जाना जाने लगा। कहा जाता है कि चन्द्र को श्राप मिला हुआ था और वह श्राप से मुक्ति पाने के लिए भगवान शंकर की आरधना कर रहे। हगवन शंकर ने उनकी भक्ति से प्रसन्न हो कर उन्हें श्राप मुक्त कर दिया था।

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग (गुजरात)
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग (गुजरात)

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (मध्य प्रदेश)

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश राज्य के उज्जैन नगर में स्थित है। कहा जाता है कि इसके दर्शन मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। यह मन्दिर शिप्रा नदी के समीप स्थित है, और यह 12 ज्योतिर्लिंगों में एक मात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है जो दक्षिण मुखी है। उज्जैन बहुत ही पावन नगरी मानी जाती हैं यदि पर भगवान कृष्णा ने शिक्षा भी प्रदान की थी। उज्जैन का पुराना नाम अवन्तिका है, यहाँ पर प्रमुख शक्तिपीठ हरसिद्धि भी है।

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति

शिवपुराण और स्कन्दपुराण में महाकाल का जिक्र मिलता है, दूषण नामक दैत्य अवन्तिका में धार्मिक कार्यो में बाधा उत्पन्न करता था और ऋषि मुनियों को परेशान करता था। तभी भक्तो में भगवान शिव से मदद मांगी और दूषण नामक दैत्य का वध करने के लिए महाकाल का रूप लिया था जिसके बाद से ही वह प्रजा की रक्षा के लिए उज्जैन में ही विराजमान है।

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (मध्य प्रदेश)
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (मध्य प्रदेश)

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (मध्य प्रदेश)

यह ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित है। यह नर्मदा नदी के किनारे पर स्थित है, यह नदी पवित्रतम नदियों में से एक है। इस शिवलिंग का निर्माण नर्मदा नदी से स्वतः ही हुआ था, इस मन्दिर के आस पास कई और मन्दिर भी है जगहे भी है जैसे सीता वाटिका, धावड़ी कुंड, मार्कण्डेय शिला, मार्कण्डेय संन्यास आश्रम, अन्नपूर्णाश्रम, विज्ञान शाला, बड़े हनुमान, खेड़ापति हनुमान आदि। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग से महाकालेश्वर के बीच की दूरी 138-39 km है, तथा तथा यहाँ उज्जैन से यहाँ पहुचने में 3 से 4 घंटे लगते हैं।

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति

कुबेर ने शिवजी को प्रसन्न करने के लिए इस मन्दिर का निर्माण किया था, और शिवजी ने उन्हें धनपति भी बनाया था। इस मन्दिर के पास बहने वाली कावेरी नदी का निर्माण भगवान शंकर ने अपनी जटाओं से किया था ताकि कुबेर देब स्नान कर सकें, यही कावेरी ओमकार पर्वत का चक्कर लगाते हुए संगम पर वापस नर्मदाजी से का कर मिलती हैं।

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (मध्य प्रदेश)
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (मध्य प्रदेश)

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (आंध्र प्रदेश)

यह ज्योतिर्लिंग आन्ध्र प्रदेश के कृष्णा ज़िले में कृष्णा नदी के तट पर स्थित हैं। माना जाता है कि इस मंदिर के शिखर के दर्शन मात्र करने से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल पर्वत पर स्थित श्रीमल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने मात्र से ही सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। यहाँ मल्लिका यानी की पार्वती और अर्जुन का अर्थ भगवान शंकर है यह दोनों के संयुक्त रूप वाला ज्योतिर्लिंग माना गया है।

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की कथा के अनुसार एक समय की बात है जब भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय के बीच इस बाद को लेकर विवाद चल रहा था कि कौन पहले करें। भगवान गणेश छोटे थे इसीलिए कार्तिकेय जी का कहना था कि वह उनसे पहले विवाह करेंगे। कलह बढ़ने लगा तो दोनों माता पिता के पास पहुचें। माता पिता यानिकी भगवान शंकर और पार्वती जी ने कहा कि जो पहले इस पृथ्वी का सबसे पहले चक्कर लगा कर आएगा उसी का विवाह सबसे पहले होगा। कार्तिकेय अपने मयूर पर बैठ कर निकल पड़े परन्तु भगवान गणेश विचार करने लगे और उन्होंने सोचा की यदि वह अपने वाहन मूषक पर सवार हो कर भी जाएँगे तो हार जाएंगे। फिर उन्होंने अपनी बुद्द्धि का प्रयोग किया और माता पिता की परिक्रमा करने लगें और कहा कि वही उनका संसार है। यह सुन शिव पार्वती प्रसन्न हो गये और उन्होंने रिद्धि सिद्धि से भगवान गणेश का विवाह कर दिया। जब कार्तिकेय जी वापस लोटे तो यह सब देख कर क्रोधित हो गये और अपने परिवार को छोड़ कर क्रौंच पर्वत पर चले गये, अपने पुत्र की याद में व्याकुल माता पार्वती शिव के साथ वहा पहुंची पर जब जैसे ही कार्तिकेय को पता अलगा की वह आ रहे हैं तो वो पर्वत से दूर चले गया। तभी से यहाँ मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग स्थापित है।

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (आंध्र प्रदेश)
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (आंध्र प्रदेश)

वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (झारखंड)

यह ज्योतिर्लिंग भारत के झारखंड राज्य के संथाल परगना डिवीजन में देवघर में स्थित है। यह विश्व का इकलौता शिव मंदिर है, जहां शिव और शक्ति एक साथ विराजमान हैं. इसलिए इसे शक्तिपीठ भी कहते हैं। इस मन्दिर में हर सावन माह में विचाल मेले का आयोजन होता है जिसमे लाखों भक्त आते हैं। इस लिंग को कामना लिंग के नाम से भी जाना जाता है।

वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति

रावण एक शिव भक्त था और वह शिवजी को अपनी लंका में स्थापित करने के लिए हिमालय पर तपस्या कि जिसके फलस्वरूप भगवान शंकर ने उसे शिवलिंग प्रदान किया परंतु रावण से यह भी कहा कि वह इसे एक बार ज्यां रख देगा यह शिवलिंग वही पर स्थापित हो जाएगी। रावण शिवलिंग को लेकर लंका के लिए चला परन्तु उसे आधे रास्ते में लघुशंका जाने की आवश्यकता पड़ी तो रावण ने उस शिवलिंग को एक ग्वाले को पकड़ने के लिए दिया, परन्तु वजन ज्यादा होने के कारण वह उसे ज्यादा देर तक उठाए नहीं रख सका और रावण के आने से पहले ही उसे जमीन पर रख दिया और तभी से यह शिवलिंग वही है जिसे वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग कहा जाता है।

वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (झारखंड)
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (झारखंड)

त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र)

त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के नासिक जिले में त्रयंबक गांव में स्थित है। त्र्यंबकेश्‍वर मंदिर गोदावरी नदी के किनारे स्थित हैं तथा काले पत्‍थरों से बना हुआ है। इस मन्दिर की मुंबई से दूरी करीब 173 किलोमीटर है। यहाँ विशेष दिनों में भक्ति की ज्यादा भीड़ होने के कारण घंटो लाइन लगने के बाद दर्शन प्राप्त होते हैं।

त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना

महर्षि गौतम और उनकी पत्नी अहिल्या से अन्य ऋषि ईर्ष्या करते थे तो उन्होंने उन पर गौहत्या का आरोप लगाना प्रारम्भ कर दिया, परन्तु ऋषि इस पाप ने नहीं पड़ना चाहते हते तो उन्होंने ऋषियों से इस पाप से बाहर आने का निवारण माँगा। ऋषियों ने उन्हें कहा कि यदि वह इस स्थान पर गंगा नदी को स्थापित करेंगे तो ही उनका पाप मुक्त हो सकेंगे। फिर ऋषि गौतम ने भगवान शिव की आराधना की जिसके फलस्वरूप यहाँ गंगा रुपी नदी गोदावरी नदी बहने लगी जो भगवान शंकर की जटाओं से ही निकली है तथा शंकर भगवान यहाँ त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित है।

त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र)
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र)

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग (गुजरात)

नागेश्‍वर मंदिर गुजरात में बड़ौदा क्षेत्र में गोमती द्वारका के करीब स्थित है। जो श्रद्धापूर्वक इसकी उत्पत्ति और माहात्म्य की कथा सुनेगा वह सारे पापों से छुटकारा पा सकता है। यह गुजरात के द्वारका धाम से 17 किलोमीटर दूरी पर स्थित है।

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना

सुप्रिया ने शिव जी की तपस्या की और उन्हें राक्षसों से बचाने का आग्रह किया, वह शिव भक्त थी, प्रभु उसकी भक्ति से प्रसन्न थे वह एक बिल से प्रकट हुए और सभी राक्षसों का वध कर दिया और उसी स्थान पर अपने भक्तो के कहने पर स्थापित हो गये। जो आज नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से प्रसिद्ध है।

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग (गुजरात)
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग (गुजरात)

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग (उत्तराखंड)

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग उत्तराखण्ड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। केदारनाथ मंदिर ३,५६२ मीटर की ऊँचाई पर है। यह बहुत ही सुंदर जगह पर ऊंची पहाड़ियों पर स्थित मन्दिर है, यह मंदिर केवल अप्रैल से नवंबर के बीच ही खुलता है क्योकि बाकी समय में यहाँ अत्यधिक बर्फ होती है।

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग की कथा

महाभारत के युद्ध के बाद पांडव अपने भ्राताओं की हत्या के बाद अपने पापो का पश्चाताप करना चाहते हैं तो वह भगवान शिव के पास काशी पहुचे पर भगवान शिव इनसे मिलना नहीं चाहते थे और वह हिमालय की और निकल पड़े। पांडव भी उनकी तलाश में हिमालय की और चले जहाँ पहाडो ने उन्हें बैल धारण किये शिवजी दिखे परन्तु शिवजी उनसे बाख कर भागने लगे परन्तु भीम ने उन्हें पकड़ लिए तथा शिव का रूप बैल जमीन में अंतर्ध्यान होने लगा परन्तु बैल की पीठ का त्रिकोण भाग जमीन में नहीं जा सका जो आज केदारनाथ ज्योतिर्लिंग के नाम से प्रसिद्ध है।

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग (उत्तराखंड)
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग (उत्तराखंड)

बाबा विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग (उत्तर प्रदेश)

बाबा विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग वाराणसी, उत्तर प्रदेश में स्थित है। यह मन्दिर नदी गंगा के तट पर स्थित है तथा स्वयं शंकर भगवान यहाँ शिवलिंग के रूप में स्थापित है।

विश्वनाथ मंदिर में ज्योतिर्लिंग की स्थापना

जब भगवान शिव देवी पार्वती से विवाह करने के बाद कैलाश पर्वत पर जा बसे तब माता पार्वती अपने पिता के घर पर ही रह रही थी, उन्हें शिवजी के बिना अधुरा सा महसूस हो रहा था तो उन्होंने शिवजी को अपने घर ले जाने के लिए कहा तो शिव जी ने पार्वती जी की बात मानी ओ और उन्हें काशी लेकर आयें तभी से यहाँ विश्वनाथ-ज्योतिर्लिंग स्थापित है यह शहर शिवजी का ही घर माना जाता है।

बाबा विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग (उत्तर प्रदेश)
बाबा विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग (उत्तर प्रदेश)

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र)

यह मंदिर महाराष्ट्र के काशीपुर में स्थित है। इन्हें मोटेश्वर महादेव भी कहा जाता है, हिन्दू पुराणों में भी इसका वर्णन मिलता है।

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की स्थापना

रावण के भाई कुंभकर्ण ने सह्याद्रि पर्वत पर कर्कटी नामक राक्षसी से विवाह किया था और वह राक्षसी वाही रहती थी, कुम्भकर्ण की मृत्यु के बाद उसके लड़के भीम ने राम से बदला लेने का विचार बनाया था, पर जब उसकी उम्र कम थी पर जैसे ही वह बड़ा हुआ उसने भगवान ब्रह्मा की आराधना की और शक्तियाँ प्राप्त की पर वह अपनी शक्तियाँ से उसके क्षेत्र के लोगों को परेशान करने लगा, तो वहा के लोगों ने भगवान शंकर की आराधना की जिसके फलस्वरूप भगवान शंकर ने उस राक्षस का वध किया और वही स्थापित हो गये, तभी से भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है।

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र)
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र)

घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र)

महाराष्ट्र में औरंगाबाद के निकट दौलताबाद में स्थित यह ज्योतिर्लिंग इसे घुश्मेश्वर, घुसृणेश्वर या घृष्णेश्वर भी कहा जाता है।

घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा

घुश्मा नाम की एक महिला के नाम पर घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग का नाम पड़ा है, घुश्मा एक शिव भक्त थी और उसी की प्रार्थना पर भगवान शिव प्रकट हुए थे तथा घुश्मा के कहने पर ही वह सी स्थान पर स्थापित हुए थे। घुश्मा ने लोक कल्याण के लिए भगवान शिव की आराधना की थी और वह प्रतिदिन भगवान शिव की पूजा अर्चना करती थी।

घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र)
घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र)

रामेश्वरम् ज्योतिर्लिंग (तमिलनाडु)

रामेश्वरम शहर, तमिल नाडु में स्थित रामेश्वरम् ज्योतिर्लिंग रामनाथपुरम जिले में पड़ता है जिसे र्थ हिन्दुओं के चार धामों में से एक भी माना गया है।

रामेश्वरम् ज्योतिर्लिंग की कथा

राम जी जब रावण का वध करके सीता माता के साथ लंका से अयोध्या लोट रहे, तो ऋषि-मुनियों ने उनसे कहा कि उन पर ब्राह्मण हत्या का पाप लगा हुआ है, पाप से मुक्त होने के लिए रामेश्वरम में स्नान करने के साथ शिवलिंग स्थापना के लिए कहा तब उन्होंने तट पर शिवलिंग की स्थापना की जो रामेश्वरम् ज्योतिर्लिंग के नाम से प्रसिद्ध है।

रामेश्वरम् ज्योतिर्लिंग (तमिलनाडु)
रामेश्वरम् ज्योतिर्लिंग (तमिलनाडु)

निष्कर्ष:

पृथ्वी पर कुल 12 ज्योतिर्लिंग हैं जिनमें शिव स्वयं निवास करते हैं। आज हमने यहाँ सभी के नाम और उत्पत्ति की कथा आपको कह सुनाई। ऐसी ही अन्य जानकारियों के लिए आप ज्ञानग्रंथ को बुकमार्क कीजिये एवं हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करिये।

FAQs

भारत में 12 ज्योतिर्लिंगों में से पहला कौन सा है?

भारत में 12 ज्योतिर्लिंगों में से पहला गुजरात का सोमनाथ मंदिर है।

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