कलयुग में श्राप क्यों नहीं लगता?

क्यों नहीं लगता कलयुग में श्राप?? जानिए इसके पीछे की वजह!

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By Pooja Sharma

जब भी पुरानी पोराणिक कथाएँ पढ़ते हैं तब हम उसमे कई बार श्राप का नाम सुनते हैं, श्राप आशीर्वाद या वरदान का विपरीत शब्द है, जिस प्रकार हम आशीर्वाद में किसी व्यक्ति के अच्छे और भले की कामना करते हैं उसके उलट हम श्राप सामने वाले का बुरा करने, उसके लिए अमंगल के लिए इस का उपयोग किया जाता है। पर क्या आप जानते हैं कि कलयुग में श्राप क्यों नहीं लगता? अगर नही तो इस लेख को जरुर पढ़े।

कलयुग में श्राप क्यों नहीं लगता?

हिन्दू धर्म के अनुसार संसार के निर्माण से इसके अंत के बीच चार युग होते हैं सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग, कलियुग। और अभी कलयुग चल रहा है जिसकी शुरुवात लगभग ५००० वर्ष पहले हो चुकी है। कलयुग के अलावा सभी युगों में वरदान और श्राप से जुड़ी कई कथाएँ मिल जाएगी, इन कथाओ में भगवान उनके भक्त को वरदान देने और भगवान या ऋषि मुनि श्राप।

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कहा जाता है कि कलयुग में इंसान को दुसरे युगों की तुलना में भगवान को प्रसन्न करने के लिए कम तपस्या करनी पड़ती है पर वह यह भी नही करता है, पहले के युग में उम्र भी ज्यादा हुआ करती थी तथा सेकड़ो सालो तक तपस्या की जाती थी। धर्म कर्म से हीन और धर्म में कही बातों का पालन ना करने तथा भगवान की भक्ति की कमी के कारण कलयुग के इंसान का तपोबल और ब्रह्म बल कम हो गया है जिस कारण वह अन्य युगों की तरह इस युग में किसी को श्राप देने की शक्ति नही रखता है।

हर युग में पाप बढ़ता जाता है और यह अंतिम युग है इसमें सबसे ज्यादा पाप मोजूद है और जो आगे चल कर और बढ़ने वाला है, कलयुग में किस तरह पाप बढेगा इसकी कल्पना पहले ही की जा चुकी है । जैसे लोग अपने स्वार्थ के लिए किसी के साथ भी बुरा करेंगे, धन के लिए किसी को भी मार देंगे, तामसिक क्रियाओ में लिप्त रहेंगे, सच्चे मन से हरि का नाम जपने वालो की संख्या कम हो जाएगी।

महाभारत के प्रमुख श्राप

  • उर्वशी का अर्जुन को श्राप
  • माण्डव्य ऋषि का यमराज को श्राप
  • श्रीकृष्ण का अश्वत्थामा को श्राप
  • श्रृंगी ऋषि का परीक्षित को श्राप
  • युधिस्ठर ने दिया था सम्पूर्ण स्त्रियों को श्राप

कलयुग कितने वर्ष का है?

कलयुग कुल 432,000 वर्ष का है, कलयुग के अंत में भगवान विष्णु के अंतिम अवतार कलकी का जन्म होगा जो कली नाम के राक्षस का वध कर पुनः धर्म की स्थापना करेंगे। जिस तरह त्रेतायुग में भगवान श्री राम ने रावण का वध किया था तथा धर्म की रक्षा की थी। कहा जाता है कि कलि को मारने के लिए कलकी के साथ पृथ्वी पर उपस्थित सारे चिरंजीवी भी होंगे।

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