10 भारतीय वैज्ञानिकों के नाम और उनके आविष्कार

10 भारतीय वैज्ञानिकों के नाम और उनके आविष्कार

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By Nitesh Harode

भारत प्राचीन काल से ही अविष्कारों की जननी रहा है, यहाँ कई वैज्ञानिक हुए हैं जिन्होंने इस दुनिया को कई ऐसे अविष्कार दिए हैं जो आज पूरी दुनिया के काम आ रहे हैं। भारत में हर क्षेत्र के वैज्ञानिक हुए है जैसे – खगोल शास्त्री, जीव वैज्ञानिक, भौतिकशास्त्री, समाज विज्ञानी, गणितज्ञ आदि। आगे आप जानेंगे कि 10 भारतीय वैज्ञानिकों के नाम और उनके आविष्कार क्या है?

10 भारतीय वैज्ञानिकों के नाम और उनके आविष्कार

होमी जे० भाभा

डॉ. होमी जहांगीर भाभा, जिनका जन्म 30 अक्टूबर 1909 को मुंबई में हुआ था, एक पारसी परिवार से थे। उनके पिता, एक प्रसिद्ध वकील, और उनकी माँ, जो एक बड़े परिवार से थीं। एक प्रमुख भारतीय वैज्ञानिक और दूरदर्शी होमी जहांगीर भाभा ने भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम की कल्पना की और वैज्ञानिकों के एक छोटे समूह की सहायता से मार्च 1944 में नाभिकीय उर्जा पर अनुसन्धान शुरू किया। देश को आजादी मिलने के बाद होमी जहांगीर भाभा ने विश्व स्तर पर काम कर रहे भारतीय वैज्ञानिकों से भारत वापस आने की अपील की। इस अपील का असर हुआ क्योंकि कुछ वैज्ञानिकों ने इस बात पर ध्यान दिया और देश लौट आये।

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Homi J. Bhabha भारतीय वैज्ञानिक
होमी जे० भाभा

ए० पी० जे० अब्दुल कलाम

15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में जन्मे अब्दुल कलाम एक मुस्लिम परिवार से थे। उनके पिता, जैनुलाब्दीन, एक नाविक के रूप में काम करते थे, जबकि उनकी माँ एक गृहिणी थीं। उनकी ख़राब आर्थिक स्थिति के कारण उन्हें कम उम्र में ही काम करना शुरू करना पड़ा। बैलिस्टिक मिसाइलों में उनके महत्वपूर्ण योगदान के कारण उन्हें “मिसाइल मैन” नाम मिला। इसके अलावा, उन्होंने कई अन्य कामो में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का पहला आविष्कार, नंदी नामक होवरक्राफ्ट, 14 अक्टूबर, 2022 को बनाया गया था।

APJ Abdul Kalam
ए० पी० जे० अब्दुल कलाम

श्रीनिवास रामानुजन

वह एक महान भारतीय गणितज्ञ थे, जिनकी गिनती आधुनिक समय के महानतम गणितीय विचारकों में होती है। गणित में कोई विशेष प्रशिक्षण न मिलने के बावजूद उन्होंने विश्लेषण और संख्या सिद्धांत के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। रामानुजन ने लैंडा-रामानुजन स्थिरांक, रामानुजन्-सोल्डनर स्थिरांक, रामानुजन् थीटा फलन, रॉजर्स-रामानुजन् तत्समक, रामानुजन अभाज्य, कृत्रिम थीटा फलन, रामानुजन योग जैसे प्रमेय प्रस्तुत किए। इंग्लैंड जाने से पहले, 1903 से 1914 तक, रामानुजन ने कुल 3,542 गणितीय प्रमेयों की रचना की थी।

Srinivasa Ramanujan
श्रीनिवास रामानुजन

मेघनाद साहा

मेघनाद साहा एफआरएस 6 अक्टूबर, 1893 को जन्मे थे, तथा 16 फरवरी 1956 को इनकी मृत्यु हो गयी थी, यह एक भारतीय खगोल भौतिक विज्ञानी थे जो साहा आयनीकरण समीकरण बनाने के लिए प्रसिद्ध हैं। 1923 में उन्होंने प्रयाग विश्वविद्यालय में भौतिकी विभाग के प्रमुख की भूमिका संभाली। भौतिकी में रुचि के अलावा, मेघनाद साहा को प्राचीन इतिहास, जीव विज्ञान और पुरातत्व का भी शौक था। उन्होंने सूर्य से निकलने वाली रेडियो तरंगों और रेडियोधर्मिता पर शोध किया, जिससे महत्वपूर्ण खोजें सम्भव हुईं।

Meghnad
मेघनाद साहा

डॉ० येल्लाप्रगदा सुब्बाराव

डॉ० येल्लाप्रगदा सुब्बाराव का जन्म 12 जनवरी 1895 को हुआ था, येल्लाप्रगदा सुब्बाराव का जन्म भीमावरम में एक तेलुगु नियोगी ब्राह्मण परिवार में हुआ था, उन्होंने डाइएथिलकार्बामज़ेपिन खोजा था जिसका उपयोग विश्व स्वास्थ्य संगठन ने फाइलेरिया के इलाज के लिए किया था। सुब्बाराव के मार्गदर्शन में काम करते हुए बेंजामिन दुग्गर ने 1945 में ऑरोमाइसिन नामक पहली टेट्रासाइक्लिन एंटीबायोटिक कि खोज की थी।

Dr Yellapragada Subbarao
डॉ० येल्लाप्रगदा सुब्बाराव

सुब्रह्मण्यन चंद्रशेखर

सुब्रह्मण्यम चन्द्रशेखर एक प्रसिद्ध भारतीय-अमेरिकी खगोलशास्त्री है, भौतिकी के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए फाउलर के साथ 1983 में भौतिकी में नोबेल पुरस्कार मिला। यह थ्योरी ऑफ़ ब्राउनियन मोशन (1938-1943); थ्योरी ऑफ़ द इल्लुमिनेसन एंड द पोलारिजेसन ऑफ़ द सनलिट स्काई के लिए प्रसिद्ध है। चन्द्रशेखर 27 वर्ष की उम्र में ही खुद को एक खगोल भौतिकी विद्वान के रूप में स्थापित कर चुके थे। उनके निष्कर्षों के परिणामस्वरूप, न्यूट्रॉन सितारों और ब्लैक होल की उपस्थिति ज्ञात हुई, जिन्हें आधुनिक खगोल विज्ञान में रीढ़ प्रस्थापना माना जाता है।

Subrahmanyan Chandrasekhar
सुब्रह्मण्यन चंद्रशेखर

प्रफुल्ल चन्द्र राय

डॉ. प्रफुल्ल चन्द्र राय भारत के एक महान रसायनज्ञ, उद्यमी और महान शिक्षक थे। आचार्य राय न केवल आधुनिक रसायन विज्ञान के पहले भारतीय प्रोफेसर थे, उन्होंने इस देश में रासायनिक उद्योग की नींव भी रखी थी डॉ. राय ने पहली बार 1896 में पारा नाइट्राइट नामक यौगिक को संश्लेषित किया था। इस अभूतपूर्व उपलब्धि के कारण आपको अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिली, और इसके बाद, इन्होने पारा नाइट्राइट का उपयोग करके 80 अतिरिक्त यौगिकों को सफलतापूर्वक संश्लेषित किया, जिससे कई महत्वपूर्ण और जटिल मुद्दों का समाधान हुआ।

Prafulla Chandra Ray
प्रफुल्ल चन्द्र राय

सत्येंद्र नाथ बोस

01 जनवरी 1894 को जन्मे सत्येंद्र नाथ बोस भारतीय गणितज्ञ और भौतिक शास्त्री थे। यह बचपन से ही शिक्षा के क्षेत्र में उत्तम थे तथा इन्होने प्रारम्भिक शिक्षा कोलकता से ही पूरी की थी। यह गॉड पार्टिकल के जनक के रूप में प्रसिद्द है। सत्येंद्र नाथ बोस ने बाद में परमाणु के भीतर के उपपरमाणु कणों की जानकारी के लिए नई सांख्यिकी की खोज की थी

चंद्रशेखर वेंकट रमन

वह वैज्ञानिक संसार में भारत का नाम रोशन करने वाले पहले व्यक्ति थे। प्राचीन भारत में विज्ञान के क्षेत्र में उपलब्धियाँ प्राप्त की थीं, जिनमें दशमलव प्रणाली की खोज, अपनी धुरी पर पृथ्वी के घूमने की समझ और आयुर्वेद में सूत्रों का विकास शामिल था। 7 नवम्बर 1888 को तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली शहर में जन्मे चन्द्रशेखर वेंकट रमन अपने रामन प्रभाव के लिए प्रसिद्ध है इन्होने 28 फ़रवरी 1928 को इसकी खोज की थी।

सत्येंद्र नाथ बोस

वेंकटरमन राधाकृष्णन

इन्होने ओवेंस वैली रेडियो आब्जर्वेटरी में रेडियो तरंगों और रेडियो इंटरफेरोमेट्री के ध्रुवीकरण पर काम किया था। साथ ही आकाशगंगा में परमाणु हाइड्रोजन पर भी अध्ययन किया था, राधाकृष्णन और उनके साथियो ने वेला नामक पल्सर का भी शोध किया यह पल्सर चुंबकीय घूर्णन न्यूट्रान तारे हैं, जो पल्सर में विद्युत चुंबकीय विकिरण उत्सर्जित करते हैं। वेंकटरमन राधाकृष्णन एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध अंतरिक्ष वैज्ञानिक थे और रॉयल स्वीडिश अकादमी ऑफ साइंसेस के सदस्य भी हैं। इनका जन्म 18 मई 1929 को चेन्नई में हुआ था तथा इनकी मृत्यु 3 मार्च 2011 को बंगलौर में हुई थी।

वेंकटरमन राधाकृष्णन

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